मंगलयान की 90 प्रतिशत यात्रा पूरी: इसरो
मंगल ग्रह की टोह लेने गया भारत का ‘मंगलयान’ अपनी 90 प्रतिशत यात्रा पूरी कर चुका है. वह गंतव्य से अब कुछ लाख किलोमीटर ही दूर रह गया है.
इसरो |
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’ ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर जारी एक पोस्ट में कहा ‘लाल ग्रह’ की ओर जा रहे मंगलयान ने अपनी 90 प्रतिशत यात्रा पूरी कर ली है. मंगलयान को कुल 19.8 करोड़ किमी दूरी तय करनी है जिसमें से वह अब तक करीब 18 करोड़ किमी की दूरी तय कर चुका है.
निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक यह यान 24 सितंबर को अपने गंतव्य पर पहुंचेगा.
इसरो ने हाल में बताया था कि ‘मंगलयान’ के तरल ईधन वाले इंजन को करीब दस महीने की शीतनिद्रा से जगाना उसके के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती है. मंगलयान के लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश के लिए इस इंजन को दोबारा चालू करना जरूरी है. इस इंजन को पिछले एक दिसंबर को बंद किया गया था और तबसे यह ‘स्लीप मोड’ में है.
यान की गति को कम करने और इसे मंगल की कक्षा में स्थापित करने के लिए इस इंजन को फिर से चालू किया जाएगा.
मंगलयान 24 सितंबर को अपने गंतव्य तक पहुंचेगा और इसी दिन सुबह साढ़े सात बजे तरल इंजन को फिर से चालू किया जाएगा.
इस इंजन को एक दिसंबर को 22 मिनट के लिए चालू किया गया था और तब मंगलयान की गति को 648 मीटर प्रति सेंकेंड बढाकर पृथ्वी की आखिरी कक्षा से बाहर किया गया था. पिछले सप्ताह इसरो ने बताया था कि मंगलयान गंतव्य से 90 लाख किमी दूर रह गया है और पृथ्वी से 18.9 करोड किमी दूर पहुंच गया है.
कुल 450 करोड़ रुपए की लागत से तैयार मंगलयान को पिछले साल पांच नवंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से धुव्रीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘पीएसएलवी सी-25 के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. उसके बाद पांच बार इसे ऊंची कक्षाओं में स्थापित किया गया था.
इस यान के साथ पांच प्रयोगात्मक उपकरण लाइमैन अल्फा फोटोमीटर ‘मीथेन सेंसर’ मार्स कलर कैमरा, थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर और मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजीशन एनालाइजर भेजे गए हैं जो मंगल के वातावरण के बारे में जानकारी जुटाएंगे जो इस लाल ग्रह के रहस्यों पर से पर्दा उठाने में वैज्ञानिकों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.
इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी लाल ग्रह के लिए अपने नए मिशन की घोषणा कर दी है. सात अरब डॉलर के स्पेस लांच सिस्टम ‘एसएलएस’ को नवंबर 2018 में लांच किए जाने की संभावना है.
एसएलएस दुनिया का सबसे शक्तिशाली राकेट होगा और इसके जरिए इंसान को लाल ग्रह पर भेजने की योजना है.
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