मोदी पर साधा मायावती ने निशाना और पूछा कहां हैं अच्‍छे दिन?

Last Updated 23 Aug 2014 08:01:28 PM IST

'प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के तीन महीने का शासनकाल अब लोगों को मायूस और निराश करने लगा है.'


बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती (फाइल फोटो)

ऐसा कहना है बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का. उन्होंने कहा, 'मोदी राज के पहले 90 दिन बेहद ही निराशाजनक रहे. अच्छे दिन लाने के लिए 90 दिन काफी होते हैं. मोदी सरकार अपने वादे पूरे नहीं कर सकी.'

उन्होंने कहा, 'मोदी ने सत्ता में आने से पहले कई वादे किए. लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया. शासनकाल के पहले तीन महीने में मोदी ने अपने समर्थकों को निराश किया है.'

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत, गैर-उत्तरदायी और गैर-संवैधानिक संस्था के रूप में उभरता संगठन बताया और कहा कि संघ के लोगों को जिस तरह संवैधानिक पदों पर बैठाया जा रहा है उससे समस्या उत्पन्न हो सकती है.

मायावती ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा ‘‘बसपा ने पहले ही कहा था कि भाजपा के केन्द्र की सत्ता में आने पर देश दंगों की आग में झुलसेगा. यह बात काफी हद तक जगजाहिर हो गयी है. अब आरएसएस पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होकर गैर उत्तरदायी और गैर संवैधानिक संस्था के रूप में उभर रहा है. उसके प्रमुख द्वारा देश के सभी निवासियों को हिन्दू ठहराने सम्बन्धी जो गलत बयानबाजी शुरू हुई उससे साम्प्रदायिक स्थिति बन सकती है. भाजपा के सत्ता में आते ही पूरे देश में साम्प्रदायिक दंगे की शुरुआत हो गयी है.’’

उन्होंने कहा कि आरएसएस के लोगों को जिस तरह संवैधानिक पदों पर बैठाया जा रहा है उससे समस्या उत्पन्न हो सकती है.

मायावती ने कहा कि अब भाजपा के लोग भी सपा की तरह खुद को कानून से ऊपर मानते हुए कानून-व्यवस्था बिगाड़ने में लग गये हैं. उत्तर प्रदेश में तो यह खासकर काफी गम्भीर रूप में देखने को मिल रहा है.’’

बसपा अध्यक्ष ने केन्द्र की मोदी सरकार पर लोगों को मायूस करने का आरोप लगाते हुए कहा ‘‘मोदी सरकार के शुरुआती तीन महीनों का शासनकाल उन लोगों को मायूस करने लगा है जिन्होंने उसे बड़ी उम्मीदों से सत्ता में बैठाया था. उसके घोर समर्थक भी हतोत्साहित हो रहे हैं.’’

मायावती ने कहा कि पूर्ण बहुमत की सरकार का तीन माह का शासनकाल ‘अच्छे दिनों’ की शुरुआत करने के लिये काफी होता है. लेकिन सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने तथा गुजरात की तरह पूरे देश को 24 घंटे बिजली देने समेत अपने तमाम वादे पूरे करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया या कोई रूपरेखा नहीं बनायी. इससे देश में पहले जैसी मायूसी का माहौल फिर से बनना शुरू हो गया है.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा नेता यह भ्रम फैला रहे हैं कि मोदी की सरकार से पहले केन्द्र में किसी अन्य पार्टी की सरकार को ऐसा बहुमत मिला ही नहीं है, जबकि यह हकीकत नहीं है. वर्ष 1984 में अकेले कांग्रेस को 404 सीटें मिली थीं. इस बार भाजपा को सिर्फ 31 प्रतिशत वोट मिले इससे साबित होता है कि 69 प्रतिशत लोगों ने उसे नकारा है.

उन्होंने कहा कि देश की यह पहली सरकार है जिसे इतना कम वोट प्रतिशत मिलने के बावजूद पूर्ण बहुमत मिल गया है. देश की जनता का बड़ा वर्ग भाजपा की संकीर्ण मानसिकता और साम्प्रदायिक सोच को नकारता है. अगर भाजपा इसे नहीं समझेगी तो सरकार में रहते हुए भी उसे काफी नुकसान सहन करना पड़ेगा.

मायावती ने मोदी सरकार द्वारा पूर्व में पाकिस्तान को बातचीत का न्यौता दिये जाने को गलत करार देते हुए कहा कि पड़ोसी मुल्क लगातार सीमा पर युद्धविराम का उल्लंघन करता रहा है. ऐसे में उससे बातचीत निर्धारित ही नहीं की जानी चाहिये थी.

बसपा अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश में ‘जंगलराज’ का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में विशाल आबादी रखने वाले उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में विकास और अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था, अमन चैन की पुनर्बहाली के लिये अब उनका एक बार फिर मुख्यमंत्री बनना बहुत जरूरी हो गया है.

मायावती ने दावा किया कि ‘जंगलराज’ के खिलाफ जनता में आक्रोश है. अब सर्वसमाज के लोग और प्रदेश की दुखी जनता उनके शासनकाल को आये दिन याद करती है. अब अन्य विपक्षी दल भी सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू करने की बसपा की मांग का समर्थन करने लगे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कानून-व्यवस्था की मौजूदा हालत की आड़ में भाजपा चुनावी लाभ लेने में लगी है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सपा की भाजपा से अंदरूनी मिलीभगत के कारण दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हो रही है. इसका ही नतीजा है कि भाजपा के लोग अपनी मांगों के समर्थन में कानून को ही अपने हाथ में लेने लगे हैं, जबकि उन्हें यह करने के बजाय यहां राष्ट्रपति शासन लगवाने के लिये दबाव बनाना चाहिये था, क्योंकि यहां उसके राज्यपाल भी हैं और केन्द्र में सरकार भी.’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ से हुआ जान-माल का नुकसान सपा सरकार की घोर लापरवाही का नतीजा है. बांधों की सफाई, तटबंधों के रखरखाव में भारी लूट और भ्रष्टाचार ही इस तबाही की मुख्य वजह है. दिखावे के लिये दो-चार अधिकारियों का निलम्बन काफी नहीं है.

उन्होंने बसपा कार्यकर्ताओं से बाढ़ पीड़ितों की मदद की अपील भी की.मायावती ने बताया कि 30 तथा 31 अगस्त को लखनऊ में पार्टी पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठकें होंगी, जिनमें चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा.


 



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