सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत, यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने से किया इंकार

Last Updated 23 Aug 2014 12:10:23 PM IST

यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया है.


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

एक दिन बाद यानी रविवार (24 अगस्त) को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा होने वाली है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा पर रोक लगाने से शनिवार को इनकार कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि कॉम्प्रीहेंशन के हिस्से को लेकर छात्रों के ऐतराज का मसला पहले ही सुलझाया जा चुका है और जब नौ लाख छात्र परीक्षा में शामिल होने जा रहे हों तो आखिरी समय में परीक्षा पर रोक नहीं लगाई जा सकती.

शनिवार के दिन कार्य-दिवस न होने के बावजूद इस मामले में विशेष सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जे एस खेहर और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने प्रारंभिक परीक्षा पर रोक लगाने की अर्जी खारिज कर दी.

पीठ ने पूरे मामले को करीब आधे घंटे तक सुना पर याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि परीक्षा की मौजूदा प्रणाली विज्ञान पृष्ठभूमि के छात्रों को अनुचित फायदा दिलाती है.

कोर्ट ने कहा, ‘‘आपने सिर्फ कॉम्प्रीहेंशन के हिस्से की तरफ इशारा किया जबकि उसे हटाया जा चुका है. बीमारी का इलाज तो किया जा चुका है.’’

पीठ ने यूपीएससी के उस फैसले की ओर इशारा करते हुए यह बात कही जिसमें परीक्षार्थियों से कहा गया है कि वे 24 अगस्त को होने जा रही सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के दूसरे प्रश्न-पत्र ‘सीसैट’ में अंग्रेजी कॉम्प्रीहेंशन के सवालों के जवाब न दें क्योंकि उनके अंक मेरिट में नहीं जोड़े जाएंगे.

याचिकाकर्ता अंगेश कुमार की तरफ से पेश हुए वकील रवींद्र एस गारिया और विशाल सिन्हा ने दलील दी कि सिविल सेवा परीक्षा की मौजूदा प्रणाली ऐसी है, जिससे ग्रामीण पृष्ठभूमि और मानविकी पृष्ठभूमि के परीक्षार्थियों को नुकसान होता है जबकि इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रबंधन पृष्ठभूमि के परीक्षार्थियों को अनुचित फायदा होता है.

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आपकी मुश्किल दूर की जा चुकी है. लिहाजा, आप बेहतर स्थिति में हैं. आपकी शिकायत का हल तो आपके पक्ष में किया गया है. आपके हिसाब से मेरिट का आकलन नहीं किया जा सकता.’’

पीठ ने कहा कि ये शैक्षणिक मामले हैं जिनका फैसला सरकार और विशेषज्ञ संस्थाओं पर छोड़ देना चाहिए.

बहरहाल, पीठ ने कहा कि प्रतिभाशाली छात्र विज्ञान और मेडिकल विषय चुनते हैं और शायद यही वजह होगी कि ऐसे विषयों के लोग परीक्षा में अच्छे परिणाम देते हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘सबसे बुद्धिमान छात्र कहां जाते हैं? सबसे बेहतर तो विज्ञान और मेडिकल का ही रूख करते हैं. लिहाजा, ऐसे विषयों के छात्र मानविकी विषयों के छात्रों से ज्यादा अंक लाते हैं.’’

कोर्ट ने कहा, ‘‘कोई भी व्यवस्था एकदम सटीक नहीं होती.’’

पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि उसने अदालत का रूख करने में इतनी देर क्यों लगाई.

पीठ ने कहा, ‘‘हर चीज एक जैसी है. सिलेबस भी एक जैसा है. आपको ज्यादा वक्त क्यों चाहिए ? नौ लाख छात्र परीक्षा में शामिल होने के लिए तैयार हैं. यदि कोई तैयार नहीं है तो क्या किया जा सकता है. सभी छात्रों ने मई में आवेदन किए हैं और उन्होंने परीक्षा की तैयारी की है. हमें याचिका में कोई दम नजर नहीं आता और इसे खारिज किया जाता है.’’



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