चौतरफा दबाव के चलते हर्षवर्धन बैकफुट पर

Last Updated 23 Aug 2014 09:47:10 AM IST

एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी को पद से हटाने का मामला सरकार की गले की फांस बनता जा रहा है.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन

फिलहाल चतुर्वेदी के पक्ष में एम्स फैकल्टी के साथ ही तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी आ गए हैं. चारों ओर से दबाव को देखते हुए डा. हर्षवर्धन बैकफुट पर नजर आ रहे हैं.

उन्होंने पहले तो चतुर्वेदी को स्थायी तौर पर हटाने की बात कही थी लेकिन चौतरफा दबाव के चलते शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि स्वास्थ्य मंत्री ने तीन महीने के लिए चतुर्वेदी को हटाया गया है.

उनकी जगह स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव एवं सीवीसी के अतिरिक्त निदेशक डा. विास मेहता को अतिरिक्त प्रभार दिया गया. वे फिलहाल एम्स में चतुर्वेदी का कामकाज देखेंगे.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि चतुर्वेदी इस पद के योग्य नहीं थे और इस मुद्दे को ज्यादा तूल न दिया जाए. उनके इस सधे जबाव से न सिर्फ एम्स बल्कि अन्य चिकित्सा एवं सरकारी संस्थानों में ईमानदार अधिकारी की भूमिका अदा करने वाले हतप्रभ हैं.

पिछली सरकार के वक्त आदेश आया था कि चतुव्रेदी का तबादला बिना पीएमओ की रजामंदी के नहीं हो सकता है, यानी साफ है कि उन्हें पद से हटाने के लिए पीएमओ की मंजूरी ली गई. या फिर बिना किसी जांच के ही स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा भेजे गए चतुर्वेदी को हटाए जाने संबंधी आदेश पर स्वीकृति प्रदान कर दी.

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आदेश एकतरफा है, इसकी जांच होनी चाहिए. इस मामले में चतुव्रेदी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.

एम्स फैकल्टी सदस्यों का मानना है कि उनकी इस स्थिति के लिए दरअसल, उनके सिपहसालार ज्यादा जिम्मेवार है, इन अधिकारियों ने उन्हें आधी अधूरी जानकारी दी.

अच्छा तो तब होता जब इस अधिकारी को हटाया ही जाना था तो उसका पक्ष भी जाना जाता ताकि वह अपने आरोपों या फिर किन वजहों से उन्हें हटाया जा रहा है, स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिलता.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 अगस्त को चतुर्वेदी को हटाने संबंधी आदेश तैयार किया था किन्हीं कारणों से आदेश उन्हें 19 अगस्त को मिला.

न्यूरोलॉजी यूनिट के एक अति वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा कि यह अनुचित है, इस तरह स्वास्थ्य मंत्रालय को आदेश जारी नहीं करना चाहिए.

चतुर्वेदी का पक्ष लेते हुए इस प्रोफेसर ने कहा कि मुझे किसी से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन मेरा मानना है कि एम्स दुनियाभर में उम्दा चिकित्सीय सेवाओं के लिए विख्यात है, लेकिन बीते कुछ सालों में इसकी साख पर बट्टा कुछ ‘की पोस्ट’ पर बैठे लोग लगाते रहे हैं, जिन्हें बीते दो साल के दौरान बाहर का रास्ता दिखाया गया, इससे यहां के माहौल बनने के साथ ही ईमानदार लोगों ने राहत की सांस लेना शुरू किया था.

उन्होंने कहा कि अन्य अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती थी, संभवत: इसी के मद्देनजर भ्रष्टाचार को हवा देने वाली लॉबी ने सरकार पर दबाव बनाया और वह इसमें कामयाब भी रहे. जो हुआ वह अनुचित है.

हालांकि स्वास्थ्य सचिव लव वर्मा ने कहा कि एम्स का सीवीओ पद स्थायी नहीं है. एक सामान्य प्रक्रिया के तहत उन्हें हटाया गया है.

उधर, सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले की समीक्षा कर रहा है. इसमें स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों की साख खतरे में पड़ सकती है. खाली करना पड़ेगा फ्लैट एम्स प्रशासन स्वास्थ्य मंत्रालय के सख्त रवैये के चलते चतुर्वेदी को अंसारी नगर के एम्स परिसर में स्थित फ्लैट डी- 2/8 खाली करना पड़ सकता है.
 

ज्ञानप्रकाश
एसएनबी


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