UPSC मामले में छात्र पहुंचा कोर्ट, हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
संघ लोक सेवा आयोग के फैसले के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति जताई है.
यूपीएससी |
जिसमें सिविल सेवा की परीक्षा देने वाले छात्रों से 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के अंग्रेजी के कांप्रेहेंसिव भाग में दिये गये प्रश्नों के उत्तर नहीं देने को कहा गया है.
न्यायमूर्ति बीडी अहमद व सिद्धार्थ मृदुल की बेंच के समक्ष एक परीक्षार्थी की जनहित याचिका आई जिसे इसी मुद्दे को लेकर बुधवार को दाखिल एक याचिका को सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया था, लेकिन उसे जनहित याचिका दाखिल करने की छूट दे दी थी.
सिविल सेवा अभ्यर्थी दिनेश भाटिया की तरफ से विकास निगवान ने कहा कि यदि अंग्रेजी कांप्रेहेंसिव भाग के प्रश्नों, जिनके कुल 200 में से 22.5 अंक होते हैं, को जांचा नहीं जाएगा तो हजारों छात्रों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.
इस पर अदालत ने वकील से कहा कि आपको एक अदालत से दूसरी अदालत में जाना अच्छा लगता है. आपको सिंगल बेंच के सामने इसका उल्लेख करना चाहिए था और यही याचिका जनहित याचिका के तौर पर एक बड़ी पीठ को भेजी जाती.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सिविल सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा में अंग्रेजी कांप्रिहेंसन भाग को लेकर अनेक छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद सी-सैट में अंग्रेजी भाषा के प्रश्न हटाने का फैसला किया था, लेकिन बाद में यूपीएससी ने उम्मीदवारों से कहा कि वे सी-सैट परीक्षा में प्रश्नों का उत्तर नहीं दें क्योंकि इस भाग की जांच नहीं होने से वरीयता सूची पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
Tweet |