सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से मांगा प्रस्ताव- सांसद के लंबित मामलों में तेजी से निपटारा नहीं

Last Updated 01 Aug 2014 05:48:47 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सिर्फ सांसदों के खिलाफ लंबित मामलों का तेजी से निपटारा नहीं कर सकता है.


सुप्रीम कोर्ट

राजनीति में अपराधीकरण को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निपटारे के लिए कहा था. कोर्ट ने कहा कि इससे अन्य लंबित आपराधिक मामलों में सांसदों के लिए अलग श्रेणी बन जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग श्रेणियां हैं,जहां आपराधिक ट्रायल में तेजी लाए जाने की जरूरत है. कुछ श्रेणियों की फास्ट ट्रैकिंग से क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में तेजी लाने में मदद नहीं मिल रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से राज्यों से विचार-विमर्श कर चार हफ्तों में ठोस प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह बताए कि कुछ संवेदनशील मामलों के लिए कुछ स्पेशल अदालतें गठित किए बिना पूरे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को कैसे तेज किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुशासन का मतलब होता है त्वरित क्रिमिनल जस्टिस डिलीवरी सिस्टम. आपराधिक मामलों का 10 साल तक लंबित रहना लोकतंत्र के लिए अच्छा शगुन नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि संसद में अपराधियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. 11 जून को उन्होंने सांसदों के खिलाफ लंबित मामलों के एक साल में निपटारे के लिए सांसदों से सहयोग मांगा था. मोदी ने कहा था कि सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निपटारे की पहल से दोषियों को दंडित करने में मदद मिलेगी. साथ ही इससे उन सांसदों से दाग हटाने में मदद मिलेगी जिन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया है.



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