नलिनी की याचिका पर न्यायालय का केन्द्र को नोटिस

Last Updated 25 Jul 2014 05:53:49 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा भुगत रही एस नलिनी की याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया.


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नलिनी चाहती है कि उसकी और छह अन्य कैदियों की रिहाई के लिये केन्द्र सरकार की मंजूरी लेने की अनिवार्यता संबंधी कानून को गैरकानूनी घोषित किया जाये.
     
प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केन्द्र से जवाब मांगा है जिसने पहले यह दलील दी थी कि उसकी मंजूरी के बगैर तमिलनाडु सरकार कैदियों को रिहा नहीं कर सकती है और इस तरह उसने इन कैदियों को रिहा करने के राज्य सरकार के निर्णय में गतिरोध पैदा कर दिया था.

नलिनी ने इस याचिका में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 435(1) को चुनौती दी है जिसमें प्रावधान है कि यदि सीबीआई की जांच वाले किसी मामले में कैदी को समय से पहले रिहाई की जानी है तो राज्य सरकार को इस बारे में केन्द्र से परामर्श करना होगा.

नलिनी पिछले 23 साल से जेल में है और वह मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील किये जाने के बाद सजा भुगत रही है. निचली अदालत ने 28 जनवरी, 1998 में उसे मौत की सजा सुनायी थी. लेकिन बाद में तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल, 2000 को उसकी मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी थी.

याचिका में कहा गया है कि पिछले 15 साल में तमिलनाडु सरकार ने उम्र कैद की सजा भुगत रहे 2200 कैदियों को दस साल से भी कम समय जेल में बिताने के बाद रिहा कर दिया है लेकिन उसे सिर्फ इस आधार पर समय से पहले रिहाई के लिये विचार से अलग रखा गया कि उसके अपराध की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने की थी. याचिका में कहा गया है उसका मामला दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 435 (1)(ए) के दायरे में आता है और यह धारा असंवैधानिक है.

शीर्ष अदालत द्वारा मुरूगन, संतन और पेरारिवलन की मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील किये जाने के एक दिन बाद ही 19 फरवरी को तमिलनाडु में जयललिता सरकार ने इस हत्याकांड में उम्र कैद की सजा भुगत रहे सभी सातों कैदियों को सजा में छूट देते हुये उन्हें रिहा करने का फैसला किया था.

केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार के इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. न्यायालय ने 20 फरवरी को तमिलनाडु सरकार के निर्णय पर रोक लगाते हुये यह मामला संविधान पीठ को सौंप दिया था.

न्यायालय ने बाद में नलिनी, राबर्ट पायल, जयकुमार और रविचंद्रन को रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी. मुरूगन, संतन और पेरारिवलन 1991 से ही वेल्लोर की केन्द्रीय जेल में बंद हैं.

राजीव गांधी की श्रीपेरम्बदूर मे 21 मई 1991 को हुई हत्या के जुर्म में मुरूगन, संतन, पेरारिवलन, नलिनी, राबर्ट पायल, जयकुमार और रविचंद्रन इस समय उम्र कैद की सजा भुगत रहे हैं.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment