राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दो साल का कार्यकाल पूरा किया
प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बने शुक्रवार को दो साल पूरे हो जाएंगे उन्होेंने राष्ट्रपति भवन तक जनता की पहुंच को भी आसान बनाया.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो) |
उन्होेंने राष्ट्रपति के तौर पर अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान बतौर राष्ट्राध्यक्ष दूसरे देशों की यात्राएं करने के बजाए नम्र मेजबान बनने में ज्यादा रुचि दिखाई.
दो साल के कार्यकाल के दौरान उनकी उपलब्धियों को लेकर एक पुस्तिका प्रकाशित की गई है.
इसके अलावा राष्ट्रपति भवन के अंदर एक नया संग्रहालय भी बनाया गया है, जिसे वह शुक्रवार को देश को समर्पित करेंगे. पुस्तिका के मुताबिक, श्री मुखर्जी ने अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान दो बार में केवल तीन देशों बेल्जियम, तुर्की और दक्षिण अफ्रीका की ही यात्रा की जबकि प्रतिभा पाटिल ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान 23 देशों की यात्रा की थी और इन पर 223 करोड़ रुपए का खर्च आया था.
विदेश यात्रा नहीं करने से मुखर्जी के राजनयिक प्रयासों पर भी कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि इन दो सालों में उन्होंने राष्ट्रपति भवन में 75 विदेशी गणमान्य अतिथियों की मेजबानी की.
राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे साल में 78 वर्षीय मुखर्जी ने 33 विदेशी गणमान्य मेहमानों का स्वागत सत्कार किया यानी हर दसवें दिन राष्ट्रपति भवन में एक विदेशी मेहमान का आगमन हुआ.
जापान के सम्राट के अलावा भूटान नरेश, श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान और जर्मनी के राष्ट्रपतिगण, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान और मॉरिशस के प्रधानमंत्री, वियतनाम के कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव, बांग्लादेश की संसद के अध्यक्ष और चीन के विदेश मंत्री ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों में शामिल हैं, जिनकी मुखर्जी ने इन दो सालों में मेजबानी की.
इतना ही नहीं, राष्ट्रपति भवन के प्रांगण का उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजग सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए भी किया गया. उसमें दक्षेस के नेताओं और मॉरिशस के प्रधानमंत्री समेत 5000 से अधिक मेहमानों ने भाग लिया.
इन विदेशी मेहमानों की आवभगत राष्ट्रपति भवन की अतिथि शाखा ने ही की. प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन को जनता के लिए भी खोला. अब राष्ट्रपति भवन को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं.
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