शिवसेना सांसदों की शर्मनाक हरकत, रोजा रखे मुसलमान को जबरन खिलाई रोटी
शिव सेना सांसद इस बात से नाराज थे कि उन्हें दिल्ली की कैंटीन में मराठी खाना नहीं मिल रहा. लेकिन नाराज़गी का ये फलसफा...
रोजा रखे मुसलमान को जबरन खिलाई रोटी (फाइल फोटो) |
ये घटना दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन की है.
आज कल संसद का सत्र चल रहा है इसलिए महाराष्ट्र के सांसद यहीं हैं जिनमें कुछ महाराष्ट्र सदन में रूके हुए हैं.
महाराष्ट्र सदन में कैंटीन चलाने का काम आईआरसीटीसी को मिला हुआ है. आईआरसीटीसी की ओर से एक अरशद ज़ुबैर नाम का शख्स कैंटीन का सुपरवाइजर है.
शिव सेना के 11 सांसद ज़ुबैर से सिर्फ इसलिए नाराज थे कि उन्हें कैंटीन में मराठी खाना नहीं मिलता है. तरीके से उन्हें इसकी शिकायत आईआरसीटीसी से करनी चाहिए थी.
ज़ुबैर ने गुस्साए सांसदों से कहा कि उसे जो कच्चा सामग्री मुहैया कराई जाती है उसी से खाना पकता है. लेकिन शिव सेना सांसद इससे शांत नहीं हुए और जबर्दस्ती रमज़ान के महीने में रोजा रखे ज़ुबैर को चपाती खिला दी.
जुबैर ने आपबीती आईआरसीटीसी के अधिकारियों को बताई जिसके बाद आईआरसीटीसी ने तुरंत एक्शन लेते हुए कैंटीन सेवा बंद कर दी. साथ ही इस घटना की शिकायत महाराष्ट्र के रेजिडेंट कमिश्नर से की गई है.
आईआरसीटीसी ने कहा है कि इस घटना से अरशद जुबैर की धार्मिक भावना पर ठेस पहुंची है और वह बेहद दुखी है.
रेजिडेंट कमिश्नर ने इस घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए अपनी ओर से माफी मांगी है और ज़ुबैर से खुद मिलने की पेशकश की है.
महाराष्ट्र सरकार भी इस घटना से हरकत में आई है और मामले की तहकीकात शुरू कर दी गई है.
आईआरसीटीसी की ओर से जिन 11 सांसदों पर बदसलूकी का आरोप लगाया गया है, उनमें संजय राउत (राज्यसभा), आनंदराव अडसुल (अमरावती), रंजन विचारे (ठाणे), अरविंद सावंत (दक्षिण मुंबई), हेमंत गोडसे (नासिक), कृपाल तुमाने, रविन्द्र गायकवाड़ (उस्मानाबाद), विनायक राउत (रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग), शिवाजी पाटिल (शिरूर), राहुल शेवाले (दक्षिण-मध्य मुंबई) और श्रीकांत शिंदे (कल्याण) के नाम शामिल हैं.
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत कहना है कि गलत आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोई शरारत कर रहा है. राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सदन में कई समस्याएं हैं, इसलिए मैं वहां ठहरता ही नहीं हूं.
दक्षिण मुंबई के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, 'मैं वहां पिछले दो महीनों से रह रहा हूं और अपमान के सिवा कुछ नहीं मिला है. यहां विधायकों, मंत्रियों और सचिवों के लिए कई कमरे हैं, लेकिन सांसदों को छोटे-छोटे कमरे में ठहराया गया है. यहां तक कि उत्तर प्रदेश के चार सांसदों को भी बड़े कमरे दिए गए हैं. क्या यह अपमान नहीं है?'
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