सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार के बीच बढ़ा टकराव, चीफ जस्टिस ने न्याय में देरी के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार
अदालतों में लंबित लाखों मुकदमों को निपटाने में देरी के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच ठन गई है.
सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच बढ़ा टकराव (फाइल फोटो) |
चीफ जस्टिस आरएम लोढा ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनकी अगुआई में गठित संविधान पीठ ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि न्यायपालिका की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना सरकार का काम है.
जीफ जस्टिस के मुताबिक सरकार लंबित मामलों को तेजी से निपटाने के लिए ट्राइब्यूनल गठित करने की बात कह रही है लेकिन उसे पूर्ण स्वायत्त नहीं बनाया गया है. अगर ऐसे ट्राइब्यूनल मंत्रालय के मातहत काम करेंगे तो इसके रहने या नहीं रहने का कोई मतलब नहीं है.
ख़ास कर न्यायमूर्ति लोढ़ा बेहद तल्ख दिखे. उन्होंने टिप्पणी की ..न्यायिक स्वतंत्रता गतिविधियों में भी झलकनी चाहिए. सिर्फ लफ्फाजी से काम नहीं चलेगा..
संविधान पीठ ने कहा, " आप हाई कोर्ट को दोषी कैसे ठहरा सकते हैं. आप जजों की नियुक्ति नहीं करते. किसी भी हाई कोर्ट में 20-30 से ज्यादा जज नहीं हैं. बुनियादी संरचना और सुविधा का घोर अभाव है. आप इसे मजबूत नहीं करेंगे और न्यायपालिका पर उंगली उठाएंगे."
ये टिप्पणी अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के बयान के बाद आई जिसमें उन्होंने लंबित मामलों के लिए उच्च न्यायालयों को जिम्मेदार ठहराया था. रोहतगी ने कहा कि हाई कोर्ट अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं जिसके चलते सरकार को ट्राइब्यूनल बनाने पड़ रहे हैं.
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