मरीन मुद्दा: इटली का अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का विचार
इटली भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी दो इतालवी मरीन के मामले को सुलझाने में मदद के लिए अपने राजदूत को भारत वापस भेजेगा.
इतालवी मरीन |
साथ ही वह इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता पर विचार कर रहा है क्योंकि द्विपक्षीय प्रयास नाकाम रहे हैं.
समाचार एजेंसी अनसा के अनुसार इतालवी रक्षा मंत्री फेदेरिका मोघेरिनी ने आज सीनेट में कहा कि इटली ने भारत को एक नोट भेजा है क्योंकि उसने अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया की शुरूआत कर दी है जिसे संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता तक ले जाना है, हालांकि इसके लिए भारत का सहयोग अनिर्वाय है.
उन्होंने कहा कि इटली ने अपने राजदूत डेनियल मैनचिनी को नयी दिल्ली वापस भेजने का फैसला किया है ताकि दोनों मरीन के मामले पर नए सिरे से प्रयास किए जा सकें.
मैनचिनी को इसी साल फरवरी में वापस बुला लिया गया था. वह मरीन मुद्दे पर इटली के विशेष दूत स्टाफन दी मिस्तूरा का स्थान लेंगे.
फेदेरिका ने कहा कि मैनचिनी मामले के अंतरराष्ट्रीयकरण के ‘पहले चरण’ की निगरानी करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘हम मिस्तूरा का उनके समर्पण और अथक प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हैं.’’
इतालवी रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम द्विपक्षीय स्तर से दूर हो गए हैं.अंतरराष्ट्री स्तर पर विवाद उठाने वाले हैं, हालांकि हम अब भी भारतीयों से बातचीत करने के इच्छुक हैं. परंतु हमारे पास अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.’’
फेदेरिका ने कहा कि इटली भारत में कानूनी प्रक्रियाओं को ‘वैध’ नहीं मानता.
फेदेरिका कहा, ‘‘हम (भविष्य के) भारतीय सुनवाई को स्वीकार नहीं करते जिसकी वैधानिकता मान्यता नहीं है.’’
इतालवी रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम अगले चरण को लेकर एक विशेषज्ञ समिति का खाका तैयार कर रहे हैं.’’
केरल के तट के निकट फरवरी, 2012 में दो भारतीय मछुआरों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में दो इतालवी मरीन मैसिमिलियानो लातोरे और सल्वातोरे गिरोने को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले को लेकर भारत और इटली के बीच राजनयिक तनाव पैदा हो गया था.
इटली के दोनों मरीन फिलहाल नयी दिल्ली स्थित इतालवी दूतावास में हैं. इटली ने आग्रह किया कि लातोरे और गिरोने को स्वदेश लौटने की इजाजत दी जाए और उनके खिलाफ मामले को वापस लिया जाए.
भारतीय सरकार कहती रही है कि इनके खिलाफ मुकदमा चलाने का उसका अधिकार है क्योंकि पीड़ित भारतीय थे और वे भारतीय नौका पर सवार थे.
भारत में एक विशेष अदालत ने बीते 31 मार्च को इस मामले की सुनवाई 31 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी थी.
उच्चतम न्यायालय ने दोनों मरीन की ओर से दायर उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई थी.
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