मनमोहन सिंह कमजोर नहीं, पीएमओ ने बचाव में जारी किये आर्थिक आंकड़े

Last Updated 18 Apr 2014 08:11:21 PM IST

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने एक पूर्व मीडिया सलाहकार द्वारा किये गए क्षति पहुंचाने वाले दावों का जवाब देते हुए कहा कि वे कमजोर नहीं है.


PMO बोला, कमजोर नहीं मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)

पचौरी ने कहा कि आर्थिक आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि पिछले दशक में अभूतपूर्व विकास दर्शाता है जो कि प्रधानमंत्री सिंह के 'कमजोर' होने पर असंभव होता.

पचौरी ने इस बात पर खेद जताया कि लोगों को सरकार की उपलब्धियों के सभी पहलुओं की जानकारी नहीं हो रही है क्योंकि मीडिया की ‘‘अलग प्राथमिकताएं’’ हैं.
     
उन्होंने यह दिखाने के लिए संवाददताओं के समक्ष विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक आंकड़े रखे कि गत 10 वर्षों के दौरान प्रगति हुई है.

जीडीपी में 10 वर्षों में तीन गुना वृद्धि दर्ज
     
पचौरी ने कहा, ‘‘जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में गत 10 वर्षों के दौरान तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई है. गांवों में न्यूनतम मजदूरी में भी तीन गुना वृद्धि हुई है. यह दिखाता है कि सरकार लगातार काम कर रही है लेकिन लोगों को इस कार्य के बारे में जानकारी नहीं हो रही है क्योंकि मीडिया की अलग प्राथमिकताएं हैं’’.
     
उन्होंने कहा, ‘‘यदि प्रधानमंत्री कमजोर होते तो हमारे देश से संबंधित आर्थिक आंकड़े मजबूत नहीं होते. ये आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री काम कर रहे थे और उनका हमेशा से ही यह मानना रहा है कि उनका काम उनके लिए बोलेगा’’.

10 साल में दिए 1198 भाषण

पचौरी की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की पुस्तक ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर:द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’’ में किये गए इस दावे की पृष्ठभूमि में आई है कि कांग्रेस पार्टी ने सिंह को उनके दूसरे कार्यकाल में ‘‘अधिकारहीन’’ कर दिया था और कैबिनेट में प्रमुख नियुक्तियों के बारे में फैसले सोनिया गांधी करती थीं.
      
उन्होंने इस धारणा का प्रतिरोध करने का प्रयास किया कि सिंह चुप रहते थे और कहा कि प्रधानमंत्री ने करीब 1198 भाषण दिये और कई प्रेस विज्ञप्तियां भी जारी की गईं लेकिन उनमें से अधिकतर अर्थव्यवस्था, विकास, कृषि, विज्ञान, शिक्षा आदि पर थीं.
      
उन्होंने कहा, ‘‘औसतन प्रधानमंत्री हर तीन दिन में एक बार बोले प्रधानमंत्री अपने भाषणों, प्रेस विज्ञप्तियों, मीडिया मुलाकातों में जिन चीजों पर बोलते हैं, उनमें से ज्यादातर दर्ज नहीं हैं’’.
     
पचौरी ने एक सर्वेक्षण का उल्लेख किया और कहा कि समाचार चैनल राजनीति, खेल और मनोरंजन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ये ऐसे पहलू हैं जिन पर प्रधानमंत्री ने बहुत अधिक नहीं बोला है.
     
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राजनीति के बारे में सदन में बोलना पसंद किया लेकिन ‘‘संसद में उन विषयों पर बोलने के लिए बहुत मौके नहीं मिले जिन पर वह सदन में बोलना चाहते थे’’.

पचौरी ने कहा, ‘‘आपकी रूचि राजनीति, मनोरंजन, खेल में है और प्रधानमंत्री ने इन विषयों पर नहीं बोला है’’.
      
उन्होंने कहा कि भारत में जिस तरह का विकास हुआ वैसा एक गठबंधन सरकार वाले किसी बहुदलीय लोकतंत्र में नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि गत 10 वर्षों के दौरान 14 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये.
      
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय, परिवार और पार्टी पुस्तक से संबंधित मुद्दे पर बोल दिया है और उन्हें इसमें कुछ भी अतिरिक्त नहीं कहना है.
      
पचौरी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मैं कोई पुस्तक नहीं लिख रहा, मुझे एक पुस्तक लिखने की पेशकश की गई थी लेकिन मैंने मना कर दिया’’.
      
यह पूछे जाने पर कि एक मीडिया सलाहकार की प्रधानमंत्री के पास कितनी पहुंच होती है, पचौरी ने कहा कि उन्हें जब भी जरूरत महसूस होती है वह सिंह के पास जा सकते हैं.
     
पचौरी से पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार ने देश में असमानताओं पर कोई अध्ययन कराया है.

उन्होंने कहा कि यद्यपि उन्हें योजना आयोग द्वारा ऐसे किसी अध्ययन का ध्यान नहीं, गत 10 वर्षों में कंपनियों का बाजार पूंजीकरण तीन गुना हो गया है और कृषि क्षेत्र मजदूरी में भी ऐसी ही वृद्धि दर्ज की गई है.



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