भारत पर मंडराया अल-नीनो का ‘खतरा’
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अल-नीनो के बारे में ताजा अनुमान जारी किया है जो भारत के लिए संकट पैदा करने वाला है.
भारत पर मंडराया अल-नीनो का ‘खतरा’ |
डब्ल्यूएमओ के अनुसार अल-नीनो के कारण जून से अगस्त तक भारत, मलयेशिया, थाइलैंड, पूर्वी आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान में भयानक सूखा पड़ सकता है तो दक्षिण अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटीय देश और उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट और प्रशांत महासागर के मध्य भाग में जमकर बारिश होगी.
हालांकि डब्ल्यूएमओ ने अल-नीनो के बारे में जो बुलेटिन जारी किया है, उसमें कहा गया है कि इसका असर कितना और कहा होगा, इसका ठीक से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन इसकी प्रगति को देखते हुए इसका भारतीय मानसून पर विपरीत असर पड़ेगा.
देश में मानसून की बारिश एक जून से 30 सितम्बर तक होती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) डब्ल्यूएमओ के अनुमान पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
आईएमडी का पुणो स्थित केंद्र अल-नीनो का सघन अध्ययन कर रहा है. यह अल-नीनो कमजोर रहेगा, मध्यम होगा या मजबूत होगा, इसका भी पता नहीं है. अप्रैल के अंत तक मौसम विभाग आगामी मानसून और अल-नीनो प्रभाव का अनुमान पेश करेगा.
गौरतलब है कि वर्ष 1952 से अब तक 24 बार अल-नीनो प्रभाव आया है जिसमें से आठ बार कमजोर, नौ बार मध्यम और पांच बार मजबूत था. वर्ष 2002 और 2009 में मध्यम श्रेणी का अल-नीनो था. उस वक्त देश में सूखा पड़ा था.
वर्ष 2002 में करीब 29 प्रतिशत कम बारिश हुई थी जबकि वर्ष 2009 में शुरुआती मानसून में सूखा पड़ा और बाद में ठीक बारिश हुई थी. पहले समय से वष्रा न होने के कारण किसान धान की खेती नहीं कर पाये थे. वर्ष 1997 में मजबूत अल-नीनो था तब भी भारत में सूखे की स्थिति थी.
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