निजी सुरक्षा एजेंसियों में एफडीआई देश के लिए खतरा

Last Updated 29 Jun 2013 06:24:10 PM IST

भाजपा ने प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों में एफडीआई सीमा को सौ फीसद किए जाने के सुझाव को देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक करार दिया है.


निजी सुरक्षा एजेंसियों में एफडीआई देश के लिए खतरा

भाजपा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इसे स्वीकार नहीं करने की मांग की.

पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि ऐसा निर्णय करने से विदेशी नागरिकों को प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों पर 100 प्रतिशत स्वामित्व और नियंत्रण मिल जाएगा जिसके सामाजिक,राजनीतिक और सुरक्षा की दृष्टि से देश को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि कई देशों में विदेशी नियंत्रण एवं स्वामित्व वाली प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियां सामाजिक एवं राजनीतिक हस्तक्षेप करती पाई गई हैं.

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जोशी ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नाम पर देश की सुरक्षा से खतरा मोल लेना उचित नहीं है.

इन खबरों के हवाले से उन्होंने यह बात कही जिनमें कहा गया है कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की ‘मायाराम समिति’ ने देश की प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों पर एफडीआई की 49 प्रतिशत सीमा को समाप्त करके 100 प्रतिशत करने की सिफारिश की है.

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि मायाराम समिति की इस रिपोर्ट को दरकिनार कर दें.’

जोशी ने कहा कि हमारे देश में प्राइवेट सुरक्षा एवं जासूसी कायरे की सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों में 50 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं.

ये कर्मी आवासीय कालोनियों, शापिंग माल या सिनेमाघरों में ही नहीं बल्कि मेट्रो स्टेशनों, टोल मार्गों, पेट्रोल पंपों, बैंकों और कारपोरेट दफ्तरों जैसे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में तैनात होते हैं.

उन्होंने कहा, यही नहीं प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों के कर्मी वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन,प्राइवेट हवाई अड्डों, तेल रिफाइनरियों, गैस पाइपलाइनों, आईआईटी और आईआईएम जैसे अति संवेदनशील तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की निगरानी का कार्य भी देखते हैं.

भाजपा नेता ने कहा उक्त तथ्यों को देखते हुए साफ है कि एफडीआई के नाम पर प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों पर विदेशियों को शत प्रतिशत नियंत्रण एवं स्वामित्व देकर देश की सुरक्षा को होने वाले बड़े खतरे का जोखिम उठाना किसी भी नजरिए से अकलमंदी का काम नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति को इस सिफारिश पर तुरंत संज्ञान लेकर सरकार को इससे होने वाले बड़े खतरों के प्रति आगाह करना चाहिए.

 



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