अनिवार्य मृत्युदंड असंवैधानिक :सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि किसी अपराधी के लिए शस्त्र अधिनियम के तहत अनिवार्य मौत की सजा असंवैधानिक है.
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न्यायालय ने कहा क्योंकि यह किसी नागरिक के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करती है.
न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली जो कि सेवानिवृत्त हो चुके हैं और न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की पीठ ने कहा कि शस्त्र अधिनियम की धारा 27 (3), जिसमें अनिवार्य मृत्युदंड का प्रावधान है, ऐसे मामलों में किसी आरोपी को सजा सुनाने में अदालतों के अधिकारों को सीमित करने की बात भी करती है.
पीठ ने कहा, ‘‘जो कानून निष्पक्षता के मत के अनुकूल नहीं है और मृत्युदंड जैसी अपरिवर्तनीय सजा लगाता है, वह अधिकार और न्याय के असंगत है.’’
न्यायमूर्ति गांगुली ने फैसला लिखते हुए कहा, ‘‘जरूरी प्रक्रिया की इन सभी अवधारणाओं और न्यायसंगत, निष्पक्ष एवं तर्कसंगत कानून की धारणा संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत सुनिश्चित गारंटी में इस अदालत ने पढ़ी है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए कानून की धारा 27 (3) का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघनकारी है.’’
शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार की एक अपील खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया. पंजाब सरकार ने सीआरपीएफ के कांस्टेबल दलवीर सिंह को बरी किये जाने के फैसले को चुनौती दी थी जिस पर 1993 में एक सेवा विवाद को लेकर राइफल से अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर अंधाधुंध गोली चलाने का आरोप था.
उस पर शस्त्र कानून के तहत हत्या (आईपीसी की धारा 302) और अन्य अपराधों का मामला दर्ज किया गया.
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