अंधेरे में सूर्य मंदिर
दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित एकमात्र सूर्य मंदिर अपनी प्राचीनता और ख्याति को समेटे हुए चमक का इंतजार कर रहा है।
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मंदिर के गर्भगृह में रोशनी के लिए मात्र एक लट्टू की व्यवस्था है और वह भी तब जब बिजली की आपूर्ति हो रही हो अन्यथा अंधेरे में ही भगवान सूर्य के दर्शन करने होते हैं।
उत्तराखण्ड के अल्मोडा जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर रानीखेत जाने के मार्ग पर कटारमल गांव में करीब सात हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सूर्य मंदिर जाने के लिए तीन किलोमीटर की खडी चढाई पैदल चढनी पडती है। हालांकि सूर्य मंदिर तक पहुंच बनाने के प्रयास में दूसरी आ॓र से एक मोटर मार्ग भी बनाया गया है लेकिन बरसात और भूस्खलन के चलते वह टूट-फूटकर जर्जर अवस्था में है। मोटर चलने की बात तो दूर उस मार्ग पर पैदल जाना भी खतरे से खाली नहीं है।
सूर्य मंदिर में जाने के लिए केन्द्र सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने एक बोर्ड लगाकर उसे अपने अधीन अधिग्रहित घोषित किया है लेकिन मंदिर को देखने से पता चलता है कि आज भी वह अपनी प्राचीन ख्याति और चमक वापस पाने के इंतजार में है।
सूर्य मंदिर को देखने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा कई महत्वपूर्ण व्यक्ति आ चुके हैं। जिस समय ये लोग आये थे तो रास्ते को अस्थाई रूप से ठीक कर दिया गया था लेकिन बाद में स्थिति पूर्ववत हो गई।
पूरी दुनिया में आमतौर पर लोग उडीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में ही जानते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि करीब 11 सौ साल पहले चंद्र वंश के राजाओं ने इस मंदिर का निर्माण कराया था, ऐसा भारतीय पुरातत्व विभाग ने घोषित करते हुए इस मंदिर को अपने संरक्षण में ले लिया है।
यदि इस मंदिर तक पहुंच का रास्ता मजबूत बना दिया जाये तो यह मंदिर भी अपनी प्राचीन ख्याति को प्राप्त कर लेगा। इससे न केवल पूरी दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर को लोग जानेंगे बल्कि यहां का विकास भी होगा।
मंदिर के गर्भगृह में जहां सूर्य की पूर्वाभिमुख मुख्य मूर्ति स्थापित है वहीं उसके चारों तरफ कई बेशकीमती और प्राचीन मूर्तियां रखी हुई हैं जो मुख्य मंदिर के बाहर बने छोटे छोटे मंदिरों से लाकर रखी गई हैं।
समुचित सुरक्षा न होने के चलते इन मूर्तियों को परिसर के बाहर छोटे मंदिरों से निकालकर मुख्य मंदिर में अन्दर रख दिया गया है। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा छोटे-छोटे कम से कम पच्चीस मंदिर और हैं लेकिन वे भी सभी जीर्ण अवस्था में हैं।
मुख्य मंदिर की खासियत यह है कि इतनी ऊंचाई पर होने के बावजूद वह पिछले करीब 11 सौ वर्षों से आंधी पानी बवन्डर तथा भूस्खलन झेलकर भी सीना तान कर भगवान भास्कर की तरह खडा है।
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