भोपाल एक खूबसूरत दर्शनिए स्थल
भारत के ह्रदय मध्यप्रदेश देश-विदेश में अपने पर्यटन स्थलों, खान-पान, शिल्पकारी, बुनकरों के लिए जाना जाता है। मध्यप्रदेश के प्रमुख स्थल निम्न प्रकार हैः- ग्वालियर का किला, तानसेन का मकबरा,सिंधिया महल, सिंधिया की छत्री,शिवपुरी का राष्ट्रिय उद्यान,भोपाल के बड़े-छोटे तालाब, भोपाल के मस्जिद, इंदौर का राजबाड़ा, उज्जैन का महाकलेश्वर मंदिर, औंकारेश्वर,महेश्वर,जबलपुर धुंआधार,भेड़ाघाट,गोंडराजाओं का महल, छत्तरपुर में खजुराहों के विश्वप्रसिद्ध मंदिर,सांची के वोद्ध स्तूप है। इसके अलावा चंदेरी की साड़ीया, जबलपुर का संगेमरमर का काम, श्योपुर का लकड़ी का काम, भोपाल का नक्काशी का काम भी काफी मशहूर है। मध्यप्रदेश नाम खान-पान में भी बड़े ही शान-शौकत के साथ लिया जाता है। प्रदेश के खान-पान में मशहूर हैः मुरैना का गजक,भिंड़ के पेड़े, जबलपुर की मावा की जलेबी, इंदौर का पौहा-जलेबी, उज्जैन की दाल-बाटी। जब किसी प्रदेश में इतनी सारी चीजे एक साथ मिले तो फिर घूमने का अपना ही मजा है।
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भोपाल। भारत मध्यप्रदेश राज्य की राजधानी है। भोपाल की स्थापना राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी। उस समय राजा भोज की राजधानी धार थी। धार आज मध्य प्रदेश का एक जिला है। भोपाल नगर का पहले नाम'भोजपाल'था जो भोज और पाल को मिलाकर संधि से बनाया गया था। परमार राजाओं के राज्य के खत्म होने के बाद भोपाल शहर कई बार लूटा गया। आज का भोपाल शहर की स्थपाना गोंड रानी कमलापती ने कि थी। भोपाल के दर्शनिए स्थलों में छोटा तालाब,बडा तालाब,भीम-बैठका,अभयारण्य तथा भारत भवन हैं|इसके अलावा भोपाल के पास ही विश्व प्रसिद्ध सांची का स्तूप भी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। भोपाल से लगभग 28 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर मन्दिर एक एतिहासिक दर्शनिय स्थल भी है।
भोपाल के दर्शनिए स्थलः
लक्ष्मीनारायण मंदिरः बिरला मंदिर के नाम से विख्यात यह मंदिर अरेरा पहाडियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है।
मोती मस्जिदः इस मस्जिद को कदसिया बेगम की बेटी सिकंदर जहां बेगम ने 1860 ईसवीं में बनवाया था।
ताज-उल-मस्जिदः यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था,लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी।
शौकत महलः शौकत महल शहर के बीचोंबीच चौक एरिया के प्रवेश द्वार पर स्थित है।
गोहर महलः झील के किनारे बना यह महल शौकत महल के पीछे स्थित है।
पुरातात्विक संग्रहालयः बनगंगा रोड पर स्थित इस संग्रहालय में मध्यप्रदेश के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित की हुई मूर्तियों को रखा गया है।
भारत भवनः यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों में एक है। 1982 में स्थापित इस भवन में अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालयः यह अनोखा संग्रहालय शामला की पहाडियों पर 200 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है।
भीमबेटका गुफाएः दक्षिण भोपाल से 46 किमी. दूर स्थित भीमबेटका की गुफाएं प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं। यह गुफाएं चारों तरफ से विन्ध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं। जिनका संबंध नवपाषाण काल से है। इन गुफाओं के अंदर बने चित्र गुफाओं में रहने वाले प्रागैतिहासिक काल के जीवन का विवरण प्रस्तुत करते हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12 हजार वर्ष पूर्व की मानी जाती है।
भोजपुरः यह प्राचीन शहर दक्षिण पूर्व भोपाल से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। यह शहर भगवान शिव को समर्पित भोजेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है।
भोपाल आन-जाने के लिए यातायात के साधनः
सडक मार्गः सांची, इंदौर, उज्जैन, खजुराहो, पंचमढी, जबलपुर आदि शहरों से आसानी से सडक मार्ग से भोपाल पहुंचा जा सकता है। मध्य प्रदेश और पडोसी राज्यों के अनेक शहरों से भोपाल के लिए नियमित बसें चलती हैं।
रेल मार्गः भोपाल का रेलवे स्टेशन देश के विविध रेलवे स्टेशनों से जुडा हुआ है। यह रेलवे स्टेशन दिल्ली-चैन्नई रूट पर पडता है। शताब्दी एक्सप्रेस भोपाल को दिल्ली से सीधा जोडती है। साथ ही यह शहर मुम्बई, आगरा, ग्वालियर, झांसी, उज्जैन आदि शहरों से अनेक रेलगाडियों के माध्यम से जुडा हुआ है।
वायु मार्गः भोपाल एयरपोर्ट ओल्ड सिटी से 12 किमी. की दूरी पर है। दिल्ली, मुंबई और इंदौर से यहां के लिए इंडियन एयरलाइन्स की नियमित फ्लाइटें हैं। ग्वालियर से यहां के लिए सप्ताह में चार दिन फ्लाइट्स हैं।
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