जबलपुर की सैर

Last Updated 14 Apr 2010 12:06:00 PM IST

भारत के ह्रदय मध्यप्रदेश देश-विदेश में अपने पर्यटन स्थलों, खान-पान, शिल्पकारी, बुनकरों के लिए जाना जाता है। मध्यप्रदेश के प्रमुख स्थल निम्न प्रकार हैः- ग्वालियर का किला, तानसेन का मकबरा,सिंधिया महल, सिंधिया की छत्री,शिवपुरी का राष्ट्रिय उद्यान,भोपाल के बड़े-छोटे तालाब, भोपाल के मस्जिद, इंदौर का राजबाड़ा, उज्जैन का महाकलेश्वर मंदिर, औंकारेश्वर,महेश्वर,जबलपुर धुंआधार,भेड़ाघाट,गोंडराजाओं का महल, छत्तरपुर में खजुराहों के विश्वप्रसिद्ध मंदिर,सांची के वोद्ध स्तूप है। इसके अलावा चंदेरी की साड़ीया, जबलपुर का संगेमरमर का काम, श्योपुर का लकड़ी का काम, भोपाल का नक्काशी का काम भी काफी मशहूर है। मध्यप्रदेश नाम खान-पान में भी बड़े ही शान-शौकत के साथ लिया जाता है। प्रदेश के खान-पान में मशहूर हैः मुरैना का गजक,भिंड़ के पेड़े, जबलपुर की मावा की जलेबी, इंदौर का पौहा-जलेबी, उज्जैन की दाल-बाटी। जब किसी प्रदेश में इतनी सारी चीजे एक साथ मिले तो फिर घूमने का अपना ही मजा है।


जबलपुर भारत के मध्यप्रदेश राज्य में विंध्य पर्वत श्रृंखला में स्थित नर्मदा नदी के पास बसा हुआ है। जबलपुर मध्यप्रदेश राज्य का एक महत्तपूर्ण संभाग है। जबलपुर को जबालिपुरम भी कहते हैं क्योंकि इसका सम्बन्ध महर्षि जाबालि से जोड़ा जाता है। इसे राज्य की स्कारधानी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश के गठन के बाद यहां पर उच्च न्यायालय तथा राज्य विज्ञान संस्थान की स्थापना की गई है। इसके अलावा जबलपुरि थल सेना की छावनी के अलावा भारतीय आयुध निर्माणियों का कारखाना तथा पश्चिम-मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है। यहा पश्चिम मध्य रेल्वे का मुख्य कार्यालय भी है। यह शहर भारत के प्रमुख शहरो दिल्ली और मुंबई से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। इस शहर में दो विश्वविद्यालय हैं,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय एवं जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय।

प्रमुख पर्यटन स्थलों में:

रानी दुर्गावती का मदन महल: यह किला राजा मदन शाह ने 1116 में बनवाया था। ज़मीन से लगभग 500 मीटर की ऊँचाई पर बने इस 'मदन महल 'की पहाड़ी 150 करोड़ वर्ष पुरानी मानी जाती है। इसी पहाड़ी पर गौंड़ राजा मदन शाह द्वारा एक चौकी बनवायी गई। इस किले की ईमारत को सेना अवलोकन पोस्ट के रूप में भी इस्तमाल किया जाता रहा होगा। इस इमारत की बनावट में अनेक छोटे-छोटे कमरों को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ रहने वाले शासक के साथ सेना भी रहती होगी। शायद इस भवन में दो खण्ड थे। इसमें एक आंगन था और अब आंगन के केवल दो ओर कमरे बचे हैं। छत की छपाई में सुन्दर चित्रकारी है। यह छत फलक युक्त वर्गाकार स्तम्भों पर आश्रित है। माना जाता है ,इस महल में कई गुप्त सुरंगे भी हैं जो जबलपुर के 1000 AD में बने '64 योगिनी 'मंदिर से जोड़ती हैं। यह दसवें गोंड राजा मदन शाह का आराम गृह भी माना जाता है। यह अत्यन्त साधारण भवन है। यह भवन अब भारतीय पुरातत्व संस्थान की देख रेख में है।

भेङाघाट: नर्मदा नदी के दोनों तटों पर संगमरमर की सौ फुट तक ऊँची चट्टानें भेड़ाघाट की खासियत हैं। यह पर्यटन स्थल भी जबलपुर से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चांद की रोशनी में भेड़ाघाट की सैर एक अलग तरह का अनुभव रहता है।जबलपुर से भेड़ाघाट के लिए बस,टेम्पो और टैक्सी भी उपलब्ध रहती है।


धुआंधार वॉटर फॉलः भेड़ाघाट के पास नर्मदा का पानी एक बड़े झरने के रूप में गिरता है। यह स्पॉट धुआँधार फॉल्स कहलाता है। नर्मदा नदी संगरमर की चट्टानो के बीच से गुजरती। ये दृश्य बहुत ही मन को छू लेने वाला लगता है।

 



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