त्र्यंबकेश्वर मंदिर में एक साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश
शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में श्री त्र्यंबकेश्वर को दसवां स्थान दिया गया है. मंदिर की सुन्दरता और नक्काशी अद्भुत है.
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में एक साथ बसते हैं ब्रह्मा,विष्णु और महेश |
गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना है. खास बात यह है कि इस मंदिर में केवल हिन्दू ही आ सकते है. महादेव के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक त्र्यंबकेश्वर मंदिर है.
नासिक से 35 किलोमिटर दूर गौतमी नदी के तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि मंदिर के अंदर एक छोटे से गङ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव का प्रतिक माना जाता है.
कुशावर्त कुंभ की जन्मकथा
इस मंदिर में प्रवेश से पहले यात्री को कुशावर्त कुंड में नहाना पड़ता हैं. कुशावर्त तीर्थ की उत्भव काफी रोचक है.
कहते हैं ब्रह्मगिरि पर्वत से गोदावरी नदी बार-बार लुप्त हो जाती थी. गोदावरी के पलायन को रोकने के लिए गौतम ऋषि ने एक कुशा की मदद लेकर गोदावरी को बंधन में बांध दिया. उसके बाद से ही इस कुंड में हमेशा लबालब पानी रहने लगा. इस कुंड को ही कुशावर्त तीर्थ के नाम से जाना जाता है.
त्र्यंबकेश्वर की पालकी
यहां हर सोमवार के दिन भगवान त्र्यंबकेश्वर की पालकी निकाली जाती है. शिवरात्रि और सावन सोमवार के दिन त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त भोर के समय स्नान करके अपने आराध्य के दर्शन करते हैं. यहां कालसर्प योग और नारायण नागबलि नामक खास पूजा-अर्चना भी होती है, जिसके कारण यहां साल भर लोग आते रहते हैं.
मंदिर के आस-पास का वातावरण
हरियाली और पहाड़ों के बीच स्थित इस मंदिर के आस-पास की सुन्दरता देखते ही बनती है.
मंदिर के आस-पास का वातावरण इतना अच्छा है कि आपका मन यहां से वापस जाने का नहीं करेगा. भगवाग शिव के इस मंदिर में जो शांति मिली है शायद ही आपको कहीं ओर मिलेगी.
मंदिर में जाने का सबसे अच्छा वक्त
आप अगर त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाने का सोच रहे है तो जून से सितम्बर महीने के बीच ही जांऐ क्योंकिं इस समय के दौरान यहां का मौसम काफी अच्छा होता है. इस समय यहां ज़्यादा भीड़ भी नहीं रहती है. जिसके चलते आप अच्छे से मंदिर में दर्शन कर सकते हैं.
कैसे पहुंचे...
नासिक से भारत के हर क्षेत्र के रेल और सड़क मार्ग जुड़ा हुए है. इस लिए यहां पहुंचना काफी आसान है. आप नासिक पहुंचकर वहां से त्र्यंबकेश्वर के लिए बस, ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं.
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