हिमाचल प्रदेश का कसौली खूबसूरत और सस्ता पर्यटन स्थल

Last Updated 15 Jun 2012 07:24:54 PM IST

हिमाचल प्रदेश का कसौली खूबसूरत और सस्ता पर्यटन स्थल है. यहां हर मौसम में प्राकृतिक सौन्दर्य का उत्फ उठाया जा सकता है.


कसौली की घाटियों में विहंगम दृश्य

कुछ लोगों के अनुसार, कसौली का नाम यहां स्थित नदी कौसल्या पर रखा गया है. प्रचलित मान्यता यह भी है कि इसके नाम का मूल ‘कुसुमावली’ है, जिसका अर्थ है ‘फूलों की कतार'.

कसौली जाने पर दूसरी मान्यता ही सबसे ज्यादा सटीक बैठती है क्योंकि यहां प्रत्येक ऋतु, मौसम में तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल इस जगह को और भी ज्यादा आकषिर्त बनाते हैं, जो पर्यटकों का मन मोह लेता है.

सूर्योदय का आनन्द

यहां तीन प्रमुख सड़कें हैं-लोवरमाल, अपरमाल और बाजार की सड़क. ‘लोवरमाल’ पर सभी बड़े और महंगे होटल स्थित हैं. सुबह सूर्योदय का आनन्द इस सड़क पर घूमते हुए उठाया जा सकता है.

पहाड़ों की चोटियों का भी नजारा यहां से लिया जा सकता है. चीड़ के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों और घनें जंगलों के बीच बनी यह सड़क लगभग तीन किमी आगे जाकर अपरमाल से मिल जाती है.

अपरमाल के शुरुआत में ही सेंट्रल रिसर्च इंस्टीटय़ूट है. यह काफी विस्तृत क्षेत्र में फैला है.1900 में यहां पाश्चर इंस्टीटय़ूट की स्थापना हुई, जिसमें कुत्तों के काटने पर मनुष्य को होने वाले रोगों की दवाएं यहां बनायी जाती है, साथ ही अनेक टीके व दवाएं भी यहां बनती हैं. यह अनोखी प्रयोगशाला है. दमा के मरीजों के लिए भी आरोग्य आश्रम भी हैं क्योंकि माना जाता है कि यहां की सुगन्धित, प्रदूषण रहित और ओजोन से भरी हवा उनके लिए बहुत लाभदायक है.

अपरमाल ‘मंकी प्वाइंट’


अपरमाल में अधिकतर मकान सेना के अवकाश प्राप्त लोगों के हैं. अपरमाल ‘मंकी प्वाइंट’ तक जाता है, जो कसौली का सबसे ऊंचा स्थान है. यह स्थान अब भारतीय सेना के अधिकार क्षेत्र में है, अत: वहां जाने में अनेक प्रतिबन्ध हैं. यहां हनुमान जी का मन्दिर भी है. मंकी प्वाइंट कसौली बस स्टैड से 4 किमी दूर है और यहां से दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाएं और घाटियों को देखने का अलग अनुभव है.

एक तरफ कालका और चंडीगढ़ तो दूसरी तरफ सनावर, धरमपुर और शिमला. इसके पास दो कब्रें हैं, जिनका अपना इतिहास है. आयरलैंड की महिला सक्षम घुड़सवार थी. जब यहां सड़क नहीं बनी थी, तभी उसने एक दिन मंकी प्वाइंट तक घोड़े से जाने की योजना बनायी.

ट्रेकिंग और पिकनिक स्थल भी

लोगों ने बहुत मना किया क्योंकि चट्टानें बहुत ज्यादा स्थिर नहीं थीं, पर वह अपनी योजना पर दृढ़ रही, अंत में वह घोड़े पर सवार होकर पहुंच तो गयी, पर वापसी में किसी चट्टान के खिसकने से उसके साथ-साथ घोड़े की भी मृत्यु हो गई. इन्हीं की कब्रें वहां हैं. रास्ते में ट्रेकिंग का क्षेत्र तथा पिकनिक स्थल भी है.

अपरमाल पर कसौली क्लब स्थित है, जहां का अस्थायी सदस्य बनकर खेलों और पुस्तकालय का लाभ उठाया जा सकता है. क्लब की अन्य सारी सुविधाएं भी अस्थायी सदस्यों को मिलती है. कसौली का प्रशासन सेना के हाथ में है.

यह मूलत: सैनिक छावनी है. 1850 में इसे पहली बार छावनी बनाया गया, जब तेरहवीं लाइट इंफैक्ट्री रेजिमेन्ट बसाया गया. तब से आज तक कसौली देश की प्रमुख छावनियों में गिना जाता है.

घाटी का विहंगम दृश्य

यहां आपको ढेरों बंदर और लंगूर घूमते दिख जाएंगे पर कभी किसी को परेशान नहीं करते. कैंटोनमेंट अस्पताल के सामने से घाटी का विहंगम दृश्य के साथ ही चीड़ के झुरमुट के बीच से सूर्यास्त का कभी न भूलने वाला दृश्य भी दिखता है.

लगभग चार किमी दूर स्थित नाहरी देवी मंदिर से होकर बहने वाला खूबसूरत झरना दिखता है. यहां साई बाबा का मंदिर भी है. यहां सबसे पास में कारखाने के नाम पर चार किमी दूर गड़खल में मोहन मीकिन्स की डिस्टिलरी है, जिससे कसौली के पर्यावरण पर सम्भवत: प्रभाव नहीं पड़ता. यह डिस्टिलरी एशिया की पहली डिस्टिलरी है. कसौली में प्रवेश करते ही बड़ा सा चर्च आता है. यह ‘क्राइस्ट चर्च’ के नाम से मशहूर है.


सड़क मार्ग-

कसौली दिल्ली से 280 किलोमीटर की दूरी पर है. यह दिल्ली-शिमला से सीधे सड़क मार्ग से जुड़ा है. कालका से कसौली 32 किलोमीटर दूर है.

वायु मार्ग -

यहां का निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ है, जो कसौली से 52 किलोमीटर दूरी पर है.

 



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