खूबसूरत झील और पहाड़ियों का गांव नड्डी

Last Updated 06 Jun 2012 07:03:46 PM IST

नड्डी गांव की झील कश्मीर के 'डल लेक' का अहसास कराती है और यहां की पहाड़ियां गर्मी के मौसम में भी सफेद नजर आती हैं.


नड्डी गांव आने के लिए मार्च से जुलाई तक का समय ज्यादा अच्छा माना जाता है

हिमाचल प्रदेश के मशहूर पर्यटन स्थल मैकलोडगंज से लगभग तीस किलोमीटर दूरी पर स्थित है नड्डी गांव. अगर किसी ने डल झील न देखी हो तो नड्डी गांव आकर इस झील का लुत्फ उठा सकता है. यह जगह कश्मीर नहीं, पर इस गांव में डल झील जरूर है. नड्डी गांव समुद्र तल से 1,830 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर है.

इसी वजह से यहां ज्यादातर कोहरा और बरसात जैसा मौसम बना रहता है. गर्मियों में यहां दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. यह जगह शहरों की उमस, शोरगुल और दमघोंटू माहौल से दूर मंद-मंद ठंडी हवा के झोंकों वाली है जो पर्यटकों के दिलोदिमाग को सुकून देती है.

सुरमई शाम और चिड़ियों की चहचहाहट

यहां की सुरमई शाम और चिड़ियों की चहचहाहट सुबह आने वाले पर्यटकों को लुभाती है. नड्डी गांव आने के लिए मार्च से जुलाई तक का समय ज्यादा अच्छा माना जाता है. गर्मी के मौसम में भी ये पहाड़ियां सफेद नजर आती हैं. गर्मी की छुट्टियों में लोग यहां आना इसलिए पसंद करते है क्योंकि यहां गर्मी में सर्दी का अहसास होता है.

सफेद पर्वतों से घिरा यह गांव ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने इसे अपनी गोद में बिठा रखा हो. दिसम्बर-जनवरी के महीने से ही यहां का मौसम सुहाना होने लगता है. ऐसा लगता है कि हिमालय की चोटियां पर प्रकृति ने बर्फ की सफेद चादर बिछा दी हो. चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है. यह गांव इस ओर का सबसे ऊंचा और अंतिम पड़ाव पर भी है.

नड्डी गांव-

हरे-भरे खेतों छोटे-बड़े देवदार के पेड़ों के बीच ऊंची-नीची मिट्टी पर उगी हरी घास, पतले और घुमावदार रास्ते और जहां तक नजर आए, वहां तक बस पहाड़ ही दिखता है. इसके अलावा, दर्शनीय हैं - मैकलोडगंज, सेंट जोसेफ र्चच, धर्मकोट, ट्रींड, वॉर मेमोरियल, कुनाल पठरी और करेरी.

क्या देखें-

यहां बड़ी लाइब्रेरी है, जिसमें तिब्बती सभ्यता के बारे में जानने को बहुत कुछ मिलेगा. करीब 10-12 किमी दूर प्रसिद्ध भागसूनाग मंदिर है. मंदिर के पास का झरना पर्यटकों को लुभाता है. यहां आने के लिए तीन-चार दिन की छुट्टी चाहिए तभी हरी-भरी वादियों का पूरा मजा ले पाएंगे.

बस से दिल्ली से 12-14 घंटा, चंडीगढ़ से 8-9 घंटा, पठानकोट से 4- 5 घंटा. इसके अलावा मुंबई, चैन्नई, पुणे, कोलकाता सभी जगहों से बस सेवा मिलती है.

सड़क मार्ग-

चंडीगढ़ से 239 किलोमीटर, दिल्ली से 514 किलोमीटर, नांगल से 145 किलोमीटर, जलंधर से 166 किलोमीटर, होशियारपुर से 128 किलोमीटर मंडी से 147 किलोमीटर, ज्वालामुखी से 55 किलोमीटर, कुल्लू से 214 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, जंबा से 192 किलोमीटर और शिमला से 322 किलोमीटर है.

रेल मार्ग-

रेल मार्ग से जाना चाहते है तो पठानकोट उतरना होगा. यहां से बस या टैक्सी द्वारा धर्मशाला या सीधे नड्डी गांव तक पहुंचा सकता है.

हवाई मार्ग-

गागल एयरपोर्ट 15 किलोमीटर की दूरी पर है. यह पठानकोट में पड़ता है. यहां ठहरने की भी कोई समस्या नहीं है. हर किसी के बजट में होटल और गेस्ट हाउस मौजूद हैं.
 



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