सत्य एक, अभिव्यक्ति अनेक

Last Updated 19 Apr 2014 12:16:38 AM IST

अनेक हैं शिक्षक, लेकिन वह महागुरु एक है और जिस शिक्षक में आपको उसकी झलक मिल जाये, वही आपके लिए द्वार है.


आचार्य रजनीश ओशो

फिर आप अन्य शिक्षकों की चिंता छोड़ देना. यह नहीं कि उस शिक्षक में सत्य है और दूसरों में नहीं. उसका कारण यही है कि उस शिक्षक की जो अभिव्यक्ति है, वह आपके व्यक्तित्व के अनुकूल है. इसलिए उस शिक्षक में आपको गुरु दिखाई पड़ता है.

महावीर भी निकलते हैं उसी गांव से और उसी गांव से बुद्ध भी निकलते हैं लेकिन कोई बुद्ध के चुंबक से खिंच जाता है, कोई महावीर के चुंबक से खिंच जाता है.  आपका व्यक्तित्व भी जब किसी के साथ लयबद्ध हो जाता है जब आप अनुभव करते हैं एक ही स्वाद का. जो शिक्षक आपको खींचता है, वह अपने संबंध में तो कुछ कहता ही है, आपके संबंध में और भी ज्यादा कहता है. जिससे आप खिंचते हैं, उसका आपका तालमेल है, उससे आपकी आत्मिक निकटता है.

आप उसके लिए हैं, वह आपके लिए है. प्रेमी अक्सर एक-दूसरे से कहते हैं कि ऐसा लगता है कि तू मेरे लिए ही निर्मित हुआ है. यह तो दो शरीरों की या बहुत गहरा जाये प्रेम, तो दो मनों के तालमेल की खबर है. इससे भी गहरी खबर शिष्य और गुरु के बीच घटित होती है- आत्मा के मिलन की. इसलिए हमने उसे अलग नाम दिया है श्रद्धा का. वह प्रेम का चरम शिखर है. उससे ऊपर प्रेम के जाने का कोई उपाय नहीं. जहां दो आत्माएं अनुभव करती हैं- एक सी गंध, एक सा स्वाद, एक सा स्वर.

जहां दो आत्माओं की वीणा एक साथ तंरगित होती है और एक साथ बजने लगती है. जिस शिक्षक से आपके हृदय के तार झनझना जायें, वह शिक्षक आपके लिए गुरु हो गया. सभी शिक्षक आपके गुरु नहीं हैं. और इसके प्रति बहुत सावधान होना भी जरूरी है. क्योंकि हम आपने द्वंद्वग्रस्त मन में पचीस शिक्षकों के बीच घूम सकते हैं. और बहुत विपरीत स्वरों को अपने भीतर इकट्ठा कर ले सकते हैं.

उससे हमारे संगीत के जन्मने में बाधा पड़ेगी.  इसलिए छानबीन इस बात की करें कि आपका किससे तालमेल बैठता है. यह बहुत अलग बात है. हम छानबीन करते हैं इस बात की कि कौन गुरु सच्चा है. यह बात मूल्यवान नहीं है. और आप कैसे पता लगाएंगे कि कौन गुरु सच्चा है? अच्छा हो कि खोजबीन इस बात की करें कि किससे मेरे हृदय के तार मेल खाते हैं. वह सच्चा हो या न हो, आप चिंता न करें. अगर आपके हृदय के तार तालमेल खाते हैं, तो वह कोई भी हो, वह आपके लिए महागुरु का द्वार बन जायेगा.

साभार : ओशो वर्ल्ड फाउंडेशन



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