खतरनाक भी है टैटू
किसी की बांह, किसी की पीठ तो किसी की गरदन पर आपको टैटू आसानी से दिख जाएंगे.
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चाहे आप इसे महज फैशन की ललक कहें या फिर खुद को सबसे अलग हटकर दिखाने का तरीका, लेकिन सच्चाई यही है कि आज की युवा पीढ़ी के बीच टैटू का जादू असर कर रहा है.
युवा भले ही टैटू बनवाने को 'कूल' या 'फैशन सिंबल' कहकर खुद को सहज महसूस करा लें लेकिन इसका एक दूसरा पहलू स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है. कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है.
इन विशेषज्ञों का कहना है कि अनिवार्य स्वास्थ्य अनुमति या प्रमाण-पत्रों संबंधी दिशा-निर्देशों की कमी के कारण कोई भी टैटू स्टूडियो खोल लेता है और इसे एक व्यवसाय की शक्ल दे देता है.
राजधानी में इन्डेलिबल टैटूज पॉर्लर के मालिक अभिषेक मधुर कहते हैं 'आप इसे एक सैलून या पॉर्लर के रूप में शुरु कर सकते हैं. इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से किसी प्रकार की अनुमति की जरूरत नहीं है.'
चूंकि इस संबंध में नियमित तौर पर स्वास्थ्य संबंधी जांच नहीं होती इसलिए इन पॉर्लर मालिकों ने किसी तरह के विवाद से खुद को बचाने और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए खुद से कार्यप्रणाली विकसित की है. इसके तहत कुछ पॉर्लर ग्राहकों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी करवाते हैं.
मधुर कहते हैं 'सहमति-पत्र का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों की योग्यता जानने के लिए उनके चिकित्सकीय दशा का मूल्यांकन करना है. अगर कोई खास प्रकार की दवाइयों का प्रयोग कर रहा है या फिर एलर्जी जैसी किसी स्थिति से जूझ रहा है तो ऐसी स्थिति में टैटू बनवाना सही नहीं होता है.' ऐसे ही एक सहमति-पत्र के अनुसार ग्राहक यह स्वीकार करता है कि टैटू के कारण होनेवाले किसी भी खतरे के लिए वह तैयार है. इस खतरे में त्वचा या फिर रक्त संबंधी बीमारी भी शामिल होती है.
भारतीय त्वचा विशेषज्ञ संगठन के उपाध्यक्ष डॉक्टर एनजी पटवर्धन कहते हैं 'संक्रमणयुक्त उपकरणों के प्रयोग से त्वचा संबंधी बीमारी हो सकती है और एड्स विषाणुओं का प्रसार हो सकता है. इससे हेपेटाइटिस बी होने की आशंका भी बनी रहती है.'
पटवर्धन कहते हैं 'टैटू के कारण होनेवाली समस्या के लिए जो लोग हमारे पास आते हैं उनकी संख्या ज्यादा नहीं है. यह सिर्फ इस पर निर्भर करता है कि टैटू बनाने के कार्य को कैसे अंजाम दिया गया है और इसे किसके द्वारा किया गया है. अगर यह सुरक्षित है तो कोई खतरा नहीं है.'
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