हर मौसम में खाइए गाजर,मूली और मटर

Last Updated 11 Jul 2011 12:01:27 PM IST

मौसम कोई भी हो और आपका मन करे गाजर, मूली और गोभी खाने का तो फिक्र नहीं, क्योंकि ये सब्जियां आपको हर मौसम में मिलेंगी.


ऐसा संभव हुआ है नई तकनीक के जरिए, मध्य प्रदेश के कई जिलों में पॉली हाउस तकनीक के जरिए साल भर ये सब्जियां उगाई जा रही हैं.

इन पॉली हाउस में गाजर, मूली, मेथी, मटर, फूल गोभी तथा पत्ता गोभी जैसी सब्जियां तो उगाई ही जा रही हैं, साथ में डच रोज, जरबेरा, कार्मेसेंट जैसी सजावटी फूलों की फसल ली जा रही है. पॉली हाउस ने किसानों की जिंदगी में नई रोशनी लाने का काम किया है.

शाजापुर के पतोली के मोइन खान के लिए तो पॉली हाउस वरदान साबित हो रहे हैं.

उनके तीन पॉली हाउस हैं, जिनमें रंगीन शिमला मिर्च उगाते हैं. शिमला मिर्च देश-विदेश के पांच सितारा होटलों में सलाद व चाइनीज फूड में प्रमुखता से इस्तेमाल की जाती है.

मोइन खान बताते हैं कि इस रंगीन शिमला मिर्च की मांग अरब देशों में ज्यादा है. उनके एक पॉली हाउस जिसका आकार एक हजार वर्ग फुट है वहां लगभग 25 टन शिमला मिर्च का उत्पादन होता है. इस एक पॉली हाउस में पैदा होने वाली शिमला मिर्च से वह दो लाख रुपये का मुनाफा कमा लेते हैं.

खान के अनुसार यह तकनीक मुख्य रूप से इजराइल तथा हॉलैंड में अपनाई जाती है. इसके लिए दो तरह के ग्रीन हाउस नेचुरली वेंटीलेटेड तथा फेनपेड है.

भारत में नेचुरली वेटीलेटेड तकनीक को प्रमुखता से अपनाया जाता है. इसमें बिजली की भी जरूरत नहीं होती. इजराइल व हॉलैंड में इस तकनीक से फूलों की खेती होती है, जबकि भारत में सब्जी की फसल में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.

इसी तरह सीहोर जिले के आमरोद गांव के किसान गजराज सिंह पॉली हाउस से खेती कर काफी खुश हैं. वह बताते हैं कि मेथी की खेती कर वह हर माह 15 से 20 हजार रुपये कमाने की उम्मीद रखते हैं.

ज्ञात हो कि पॉली हाउस तकनीक का उपयोग संरक्षित खेती के तहत किया जा रहा है. इस तकनीक से जलवायु को नियंत्रित कर दूसरे मौसम में भी खेती की जा सकती है.

ड्रिप पद्धति से सिंचाई कर तापमान व आद्र्रता को नियंत्रित किया जाता है. इससे कृत्रिम खेती की जा सकती है, इस तरह जब चाहें तब मनपसंद फसल पैदा कर सकते हैं.

राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत इस कार्य के लिए प्रति यूनिट लागत 935 प्रति वर्ग मीटर की दर से दी जाती है. इसमें 50 प्रतिशत राशि किसान को दी जाती है. वर्तमान में मध्य प्रदेश में लगभग 50 हजार वर्गमीटर में पॉली हाउस तकनीक अपनाई जा रही है.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment