प्रदूषित पर्यावरण बिगाड़ रहा है लोगों की सेहत, प्रभावित होती हैं रक्त धमनियां
लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से रक्त धमनियों सख्त होती जाती हैं जिससे हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है.
फाइल फोटो |
हम सब जानते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से हृदय संबंधित बीमारियां होती हैं और इसकी मुख्य वजह है वायु प्रदूषण के कारण रक्त धमनियों में जमती धूल की परतें, जो एक समय के बाद हृदय में रक्तप्रवाह को रोकने लगती हैं.
विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक लंबे समय से हजारों अमेरिकी लोगों पर किये गये एक अध्ययन से पता चला है कि अमेरिका के सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में रहनेवाले लोगों को कम प्रदूषित इलाकों में रहनेवाले लोगों की अपेक्षा हृदय संबंधी अधिक समस्यायें हुई.
पूर्व में प्रकाशित अध्ययनों में धूल कणों और हृदय संबंधी बीमारियों का संबंध देखा जाता रहा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि यह प्रदूषण हृदयसंबंधी बीमारियों को किस प्रकार बढ़ाता है. इससे पहले इस संबंध में कम अध्ययन किया गया था और सभी अन्य उद्देश्य के लिए जुटाये गये आंकड़ों पर ही आश्रित रहते थे.
अब वायु प्रदूषण के अध्ययन और 10 साल तक अमेरिका के छह राज्यों में 6000 से अधिक लोगों पर किये गये महामारी विज्ञान संबंधी अध्ययन के बाद पता चला है कि मानक से कम प्रदूषण होने के बावजूद भी वायु प्रदूषण सांस और धमनियों संबंधी बीमारी को बढ़ावा देता है. इस स्थिति में धमनियां सख्त भी होती जाती हैं जिससे हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है.
अनुसंधानकर्ताओं ने लगातार सिटी स्कैन द्वारा हृदय की धमनियों में कैल्सियम के जमाव का पता लगाया और प्रत्येक प्रतिभागी के घर के पास प्रदूषण का भी आकलन किया.
शोधकर्ता डॉक्टर जॉयल कॉफमैन के मुताबिक यह शोध हमें यह बताता है कि कैसे जैविकी कारणों द्वारा वायु प्रदूषण के कारण हृदय संबंधी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है. यह शोध पूरे विश्व में वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल साबित होगी.
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