आयकर के नोटिस को हल्के में न लें

Last Updated 10 Oct 2015 03:49:41 PM IST

आयकर विभाग विभिन्न मामलों में लोगों को नोटिस जारी कर रहा है. यदि आपको इस तरह का कोई नोटिस मिला है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है.


फाइल फोटो

इस तरह के नोटिस को हल्के में भी न लें नहीं तो आगे चलकर आपको परेशानी हो सकती है. इस तरह के नोटिस का जवाब आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर दिया जा सकता है.

आपके नाम भी तो कोई नोटिस है तो इसकी जानकारी वेबसाइट पर लॉग-इन करके हासिल कर सकते हैं. आजकल आयकर विभाग से करदाता को नोटिस भेजने का सिलसिला चल रहा है. कुछ करदाता नोटिस मिलते ही घबरा जाते हैं तो कुछ लोग आयकर के इस नोटिस को अनदेखा कर देते हैं. इस नोटिस से घबराने की जरूरत नहीं हैं लेकिन अनदेखा करना दूसरी समस्या को निमंत्रण दे सकता है.

अधिकतर नोटिसों का जबाब आयकर विभाग की ई फाइलिंग वेबसाइट साइट पर आनलाइन दिया जा सकता है. आयकर विभाग की ई फाइलिंग वेबसाइट पर कंप्लायंस के नाम से एक लिंक है जहां पर क्लिक करने पर जबाब देने का विकल्प खुल जाता है. यहां पर आपको विकल्प दिया जाता है कि नोटिस में की गई मांग पर आप अपनी सहमति या असहमति जाहिर कर सकते हैं. यदि आप असहमत हैं तो आपको इसका कारण देना होगा.

\"\"

करदाता को कभी-कभी वेबसाइट पर लॉग-इन करके यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कोई कार्रवाई बाकी तो नहीं है. ऐसे में यदि आयकर विभाग का कोई नोटिस किन्ही कारणों से आपको नहीं मिला है तो भी आपको इसकी जानकारी मिल जाएगी.

आईटीआर न भरने पर नोटिस

यदि आपने अपने खाते में बड़ी मात्रा में कैश जमा किया है या फिर कोई रीयल स्टेट प्रॉपर्टी खरीदी है लेकिन आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल नहीं किया है तो आपको आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है. इसका जवाब आपको आयकर विभाग की ई फाइलिंग साइट पर जाकर कंप्लायंस टैब पर क्लिक करके दिए गए स्थान पर उचित कारण के साथ देना है. यदि आप इस नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो आगे चलकर आपको कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं.

आईटीआर प्रोसेसिंग का नोटिस
यदि आपने अपना आयकर रिटर्न फाइल किया है तो आयकर की धारा 143 (1) के अंतर्गत आपको एक नोटिस आएगा. यह नोटिस एक प्रकार की इंटीमेशन है जो यह बताने के लिए है कि आपका आयकर रिटर्न प्रोसेस हो गया है. इस इंटीमेशन या नोटिस में रिटर्न में आपके द्वारा भरा गया ब्योरा दर्शाया जाता है. साथ ही उसके सामने आयकर विभाग की गणना के अनुसार रकम कितनी होनी चाहिए वह भी दर्शाया जाता है. यदि आपके द्वारा भरे गए आकड़े आयकर विभाग द्वारा दर्शाए गए आकड़ों से मेल खाते हैं तो आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है. यदि आकड़े एक सामान नहीं हैं तो आपको कारण जानने की जरूरत है.

उदहारण के तौर पर यदि आपने अपना रिटर्न भरते समय अपने फिक्स्ड डिपाजिट से ब्याज के रूप में हुई आय को अपनी दूसरी आय के साथ नहीं जोड़ा है तो आयकर विभाग अपनी जानकारी के अनुसार उस आय को नोटिस में दर्शाएगा. इस वजह से नोटिस में बकाया टैक्स दिखेगा. ऐसे में आपको शीघ्र टैक्स भरकर इसकी जानकारी आयकर विभाग की वेबसाइट पर कंप्लायंस लिंक पर जाकर देनी चाहिए.

दूसरी ओर यह भी हो सकता है कि आपने अपने आयकर रिटर्न भरने में कोई त्रुटि की है जिसकी वजह से आपसे अतिरिक्त टैक्स की मांग की जा रही है. ऐसे में आप अपने रिटर्न को सुधार सकते हैं. यदि समय रहते सीपीसी द्वारा अप्लोड किए गए नोटिस का जबाब नहीं दिया गया तो केस असेसमेंट ऑफिसर (एओ) को ट्रांसफर कर दिया जाता है. इसके बाद एओ से मिलकर ही इसको दुरुस्त किया जा सकता है.

यदि एक बार इसका असेसमेंट हो गया तो इसको दुरस्त करना संभव नहीं हो पाए. रेगुलर असेसमेंट यदि आयकर विभाग को आपके रिटर्न में कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो विभाग आपके खातो की स्क्रूटिनी कर सकता है. स्क्रूटिनी करने से पहले आयकर विभाग धारा 143(2) के तहत आपको नोटिस भेजेगा. यदि आपको इस प्रकार का नोटिस आता है तो बेहतर होगा कि आप अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के माध्यम से इसका जबाब दाखिल करें.

धारा 245 के तहत नोटिस
यदि आपसे अतिरिक्त आयकर की मांग की गई थी किंतु आपने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की तो आपको आयकर की धारा 245 के तहत नोटिस भेजा जाता है. इस नोटिस में लिखा होता है कि भविष्य में आपका जो भी रिफंड बनेगा वह आउटस्टैंडिंग डिमांड के सामने एडजस्ट कर दिया जाएगा. इस बकाया राशि पर दो फीसद प्रतिमाह की दर से ब्याज जुड़ता रहता है. जब तक यह पूरी तरह से एडजस्ट न हो जाता अथवा आप स्वयं इसे अदा नहीं कर देते, यह मामला खत्म नहीं होता.

\"\"

डिफेक्टिव रिटर्न

यदि आपके द्वारा फाइल किया गया रिटर्न डिफेक्टिव पाया जाता है तो आयकर की धारा 139(9) के तहत करदाता को नोटिस भेजा जाता है. उदहारण के तौर पर आपकी आय व्यवसाय से है किन्तु आपने बैलेंस शीट दाखिल नहीं की या रिटर्न फाइल करते समय टैक्स भरना था जो नहीं भरा तो ऐसी स्थिति में रिटर्न डिफेक्टिव माना जाएगा. ऐसे में आपको रिटर्न दुरुस्त करने का अवसर दिया जा सकता है. यदि आप 15 दिनों के भीतर जवाब नहीं देते हैं तो आपका रिटर्न अयोग्य मान लिया जाएगा. इस मामले में जागरूकता ही समस्या का सामाधान है. कोशिश यही होनी चाहिए कि रिटर्न फाइल करते समय किसी प्रकार की त्रुटि न हो.
 

-पंकज मठपाल एमडी, आप्टिमा मनी मैनेजर
 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment