हृदय रोगों से बचाता है सरसों का तेल

Last Updated 28 Apr 2015 06:25:40 AM IST

सरसों का तेल हृदय रोगों से बचाता है और इसके कुछ गुण जैतून तेल की तरह होते हैं.


हृदय रोगों से बचाता है सरसों का तेल (फाइल फोटो)

सरसों के तेल में असंतृप्त (अनसैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा अधिक होती है तथा संतृप्त (सैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा बहुत कम लगभग सात प्रतिशत होती है. भोजन में संतृप्त वसा अम्लों के सेवन से रक्त धमनियां संकरी हो जाती हैं जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.

सरसों के तेल में ओलिक अम्ल भी पाया जाता है जो इसकी गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रखता है. सरसों के तेल में दो आवश्यक वसा अम्ल लिनोलीक और लिनोलेनिक भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिसे मानव शरीर नहीं निर्मित कर सकता है. सरसों या राई की भारतीय किस्मों में इरूसिक अम्ल की मात्रा कुल वसा अम्लों की तुलना में 40-50 प्रतिशत तक होती है लेकिन वि स्तर पर इसकी दो प्रतिशत से कम मात्रा स्वीकार्य है. इरूसिक अम्ल के अधिक सेवन से वयस्कों में मायोगार्डियल फाइब्रोसिस तथा बच्चों में लिपिडोसिस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के गेस्ट्रोएंट्रोलाजी, मानव पोषण विभाग तथा कुछ अन्य संस्थानों ने जो अध्ययन किया है, उससे यह निष्कर्ष निकला है कि सरसों के तेल संतृप्त वसा अम्लों की मात्रा बहुत कम होती है जबकि ताड़ और नारियल के तेल में इसकी मात्रा 40 प्रतिशत से अधिक होती है. कपास बीज तथा मूंगफली के तेल में भी संतृप्त वसा अम्लों की मात्रा 20 प्रतिशत से अधिक होती है. अन्य तेलों में भी संतृप्त वसा अम्लों की मात्रा 10 प्रतिशत से अधिक होती है.

सरसों के तेल में एकल असंतृप्त वसा अम्ल (मूफा) की मात्रा 70 प्रतिशत से अधिक होती है जो जैतून के तेल के लगभग बराबर है. मूंगफली के तेल में मूफा की मात्रा लगभग 50 प्रतिशत रहती है. मक्का, कपास, बीज, ताड़, कुसुम, सोयाबीन, और सूरजमुखी के तेलों में मूफा की मात्रा 50 प्रतिशत से कम होती है.

नारियल के तेल में यह मात्रा आठ प्रतिशत होती है. सरसों के तेल में बहु असंतुप्त वसा अम्ल (पूफा) की मात्रा 15 प्रतिशत होती है जबकि कुसुम, मक्का, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेलों में पूफा की मात्रा 50 प्रतिशत से अधिक होती है. जैतून, ताड़ और नारियल के तेल में पूफा की मात्रा 10 प्रतिशत से कम पाई जाती है.

लिनोलीक अम्ल (एन-6) तथा लिनोलेनिक अम्ल (एन-3) का सही अनुपात हृदय से संबंधित बीमारियों का खतरा कम करने में काफी प्रभावी होती है. यह अनुपात राई या सरसों के तेल में ही मिल पाता है जो अन्य तेलों में पूरी तरह नहीं मिलता है.

 



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