चिंता दूर तो बीमारियां भी दूर
चिंता एक डर की भावना जैसी होती है, आपको हमेशा किसी बात का डर सताना और उसके परिणाम से घबराना ही चिंता है .
चिंता दूर तो बीमारियां भी दूर (फाइल फोटो) |
चिंता करने से कई शारीरिक और मानिसक बीमारियां हो जाती है इनमें टेंशन, डिप्रेशन, बीपी, मतली आना और शारीरिक थकान आदि.
आज के जमाने में चिंता सबसे बड़ी दिमागी चुनौती बनी जा रही है. बच्चों की चिंता, ऑफिस की चिंता, घर की चिंता, पैसे की चिंता, आने-जाने की चिंता, कुछ कर गुजरने की चिंता, कुछ हासिल करने की चिंता, सबसे बड़ी बात सब कुछ होने के बावजूद और पाने की चिंता.
चिंता एक डर की भावना जैसी होती है, आपको हमेशा किसी बात का डर सताना और उसके परिणाम से घबराना ही चिंता है. कई बार दिमाग में उलझन, डर या तनाव पैदा होने से भी चिंता हो जाती है.
हर इंसान को कभी न कभी चिंता होती ही है, कोई हर दिन चिंता करता है या कोई कभी-कभार. ये चिंता करने वाले के ऊपर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार इसे झेलता है, कई लोग कमजोर पड़ जाते हैं और चिंता उन्हें ले डुबती है.
चिंता करने से कई शारीरिक और मानिसक बीमारियां हो जाती है जैसे - टेंशन, डिप्रेशन, बीपी, मतली आना और शारीरिक थकान. चिंता के दौरान सिर दर्द, शरीर में दर्द और चिड़िचड़ापन आम बात है.
कई लोग चिंता दूर करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेते हैं और दवाइयों का सेवन करते हैं, शुरू में उन्हें आराम मिल जाता है लेकिन जब उनकी बॉडी दवाइयों की आदी हो जाती है तो उन्हें फिर से दिक्कत होने लगती है.
इन सबसे छुटकार पाने के लिए मेडिटेशन करना बहुत जरूरी है. मेडिटेशन से दिमाग स्थिर होता है, चिंता दूर होती है.
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