ऑफिस में टेंशन तो बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा

Last Updated 19 Aug 2014 09:28:48 AM IST

ऑफिस में टेंशन होने पर थकान सी रहती है लेकिन क्या आपको पता है कि कार्य का दबाव अधिक रहने पर आप डायबिटीक भी हो सकते हैं.


ऑफिस में टेंशन तो मधुमेह का खतरा (फाइल फोटो)

लेकिन नवीनतम शोध के अनुसार कार्य स्थल पर कार्य का दबाव अधिक रहने पर टाइप टू डायबिटीज का खतरा 45 फीसद बढ़ जाता है.

डायबिटीज हो जाने पर इसे नियंत्रित तो किया जा सकता है लेकिन इसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है. इसके चलते पीड़ित व्यक्ति को ताउम्र बीमारी पर खर्च करना पड़ता है. इसके चलते संबंधित देश का डायबिटीज पर खर्चा बढ़ जाता है.

शोध : जर्नल साइकोमेटिक मेडिसन में म्यूनिक के इंस्टीच्यूट ऑफ एपीडिमियोलॉजी का शोध छपा है. इस इंस्टीच्यूट ने 29 से 66 वर्ष के पूर्णकालिक 5337 कर्मचारियों पर शोध किया था.

इसमें यह पता चला कि लगातार कार्य का अधिक दबाव झेलने वाले कर्मचारियों को टाइप टू डायबिटीज हो गई जबकि यह लोग पहले सेहतमंद थे. इनमें कई लोग पतले होने के बावजूद इस बीमारी के शिकार हो गए थे.

शोधकर्ताओं ने इन पीड़ितों के परिवारों की मेडिकल हिस्ट्री, कद के अनुपात में वजन, कार्यस्थल पर काम के अधिक बोझ आदि पर अध्ययन किया. इसमें यह अजीब तथ्य पता चला कि काम के अधिक बोझ से पीड़ित लोगों को टाइप टू डायबिटीज होने की आशंका 45 फीसद अधिक रहती है.

टाइप टू डायबिटीज हुई और घातक : बीते कुछ वर्षो तक टाइप टू डायबिटीज मध्यम आयु वर्ग में आकर होती थी लेकिन अब इसने किशोरों व युवाओं को भी अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. रोकथाम का उपाय : विशेषज्ञों के अनुसार पौष्टिक भोजन और नियमित व्यायाम के जरिए मधुमेह की गिरफ्त में आने से बचा जा सकता है.

टेंशन से कैसे हो जाती है टाइप-2 डायबिटीज लगातार मानसिक दबाव में रहने से शरीर में ‘स्ट्रेस हारमोन’ बढ़ जाता है. इसके चलते शरीर में ग्लूकोज का स्तर गड़बड़ा जाता है. शरीर में ग्लूकोज का स्तर अधिक होने पर शरीर के कई अंगों व खून के प्रवाह पर प्रतिकूल असर पड़ता है. इसके चलते टाइप टू डायबिटीज हो जाती है.




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