इबोला एक जानलेवा वायरस, जानिए बीमारी के लक्षण

Last Updated 18 Aug 2014 05:30:24 AM IST

आज पूरी दुनिया इबोला वायरस के आतंक से भयभीत है. अभी तक यह अफ्रीकी देशों तक ही सीमित था, पर अब यह अफ्रीकी देशों से बाहर निकल आया है.


इबोला एक जानलेवा वायरस

अब इस वायरस ने धीरे-धीरे कई देशों को अपना शिकार बना लिया है. अभी तक इस बायरस ने भारत को अपना शिकार नहीं बनाया था, पर अब इसने भारत में भी हमला बोल दिया है. जी हां पूरे विश्व में फैले इस जानलेवा वायरस इबोला ने भारत में भी हमला बोल दिया है.

इबोला एक जानलेवा वायरस है जो कि शरीरिक तरल पदार्थ या जानवरों से संपर्क में आने से भी फैलता है. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और न ही इसके लिए अभी तक कोई टीका बनाया गया है. एक अध्ययन में पता चला है कि इबोला जैसे वायरस स्तनपाई जानवरों से आते हैं. इन स्तनपायी जानवरों में चमगादड़ मुख्य रूप से शामिल है.

एक सर्वे से पता चला है कि इबोला जैसे खतरनाक वायरस लाखों की तादाद में जंगली जानवरों से आ रहे हैं. इबोला व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है. यह इम्यून कोशिकाओं में घुस कर शरीर के विभिन्न भागों में चला जाता है. जैसे कि लीवर, गुर्दा और मस्तिष्क. यह शरीर की प्रतिरक्षक क्षमता को कमजोर करता चला जाता है.

इबोला बीमारी के लक्षण : इबोला वायरस एक बार शरीर पर हमला कर दे, तो बचने की उम्मीद बहुत कम होती है. अच्छा होगा कि आप इसके लक्षणों के बारे में ठीक से पता लगा लें.

मात्र 21 दिनों में शरीर कमजोर : यदि इबोला वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो, मरीज 21 दिनों के बीच में ही कमजोर होने लगता है.

बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द :  इबोला वायरस से पीड़ित व्यक्ति को बुखार, लगातार तेज सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत होने लगती है. इसके अलावा उसकी भूख मर जाती है, पेट में दर्द रहता है तथा चक्कर और उल्टियां शुरू हो जाती हैं.

नसों से खून आना : इस बीमारी में शरीर में नसों से खून बाहर आना शुरू हो जाता है, जिससे अंदरूनी ब्लीडिंग प्रारंभ हो जाती है.

पसीने से भी फैलता है : इबोला के मरीज को सबसे अलग रखा जाता है. यह बीमारी अन्य बीमारियों की तरह सांस के जरिए नहीं फैलती बल्कि यह रोगी के सीधे संक्रमण मे आने पर फैलती है. यह बीमारी का वायरस मरीज के पसीने से फैल सकता है.

मरीज की मृत्यु के बाद भी वायरस जिंदा रहता है : भगवान न करे किसी मरीज की मौत हो पर अगर मरीज की मृत्यु हो चुकी है, तब भी यह वायरस वातावरण में जिंदा रहेगा.

कोई उपचार नहीं : इबोला का अभी तक उपचार नहीं मिल पाया है, बड़ी ही दुखद की बात है कि इस रोग का कोई इलाज नहीं है. इसके लिए कोई कारगर दवा या कोई टीका नहीं बनाया जा सका है. इसका कोई एंटी-वायरस भी नहीं है. इसकी रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका केवल एक ही है, जागरूकता, सतर्कता व सावधानी बरतना.



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