पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में फिर अलापा कश्मीर राग, 1948 रेजोल्यूशन की समीक्षा की मांग की
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर कश्मीर मुद्दे का राग अलापते हुए परिषद पर अपने प्रस्तावों के चयानात्मक कार्यान्वन का आरोप लगाया है.
पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी (फाइल फोटो) |
पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने मंगलवार को परिषद में एक सत्र के दौरान कहा, अपने प्रस्तावों के चयनात्मक क्रियान्वन से सुरक्षा परिषद की साख पर जितना बट्टा लग रहा है, उतना और किसी चीज से नहीं लग सकता.
लोधी ने कहा, इसलिए परिषद को अपने प्रस्तावों की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए, खासतौर पर जम्मू एवं कश्मीर विवाद जैसे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों की.
लोधी का संदर्भ 1948 के एक यूएन रेजोल्यूशन से था, जिसमें कश्मीर के भविष्य का फैसला करने के लिए जनमत संग्रह कराने की बात की गई थी. साथ ही परिषद के कश्मीर मुद्दे से जुड़े अन्य प्रस्तावों में जनमत संग्रह की देखरेख करने के लिए एक आयोग गठित करने का भी प्रस्ताव था.
भारत का कहना है कि 1972 के शिमला समझौते के तहत दोनों देशों के बीच बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के अपने विवादों को सुलझाने पर सहमति बनी थी. उल्लेखनीय है कि 2010 में परिषद ने कश्मीर मुद्दे को अनसुलझे अंतर्राष्ट्रीय विवादों की सूची से हटा दिया था.
यूएन में पारदर्शिता जरूरी : भारत
भारत ने आतंकियों को सूचीबद्ध करने में बिना किसी स्पष्टीकरण के बाधा उत्पन्न करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वीटो शक्ति वाले सदस्यों की बुधवार को आलोचना की. पाकिस्तान के मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिश में बार बार अड़ंगा डाल रहे चीन पर भारत का यह परोक्ष हमला था.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद की कार्य प्रणालियों पर खुली चर्चा में भाग लेते हुए कहा, कई बार यह भी नहीं पता होता कि किन देशों ने अपने वीटो का इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा, वीटो शक्ति वाले देश बिना कोई स्पष्टीकरण दिए कई आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं.
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