यरूशलम पर यूएन में वोटिंग, राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को खारिज करने वाले प्रस्ताव पर अमेरिका का वीटो
यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को वापस लेने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रखे गए प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वीटो का इस्तेमाल किया है.
सुरक्षा परिषद में अमेरिका की प्रतिनिधि निक्की हेली. |
पिछले छह वर्षो में पहली बार अमेरिका ने किसी प्रस्ताव को वीटो किया है. ट्रंप ने छह दिसम्बर को अपनी घोषणा में कहा था कि वह यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देंगे और अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से हटाकर यरूशलम में स्थापित करेंगे. उनकी घोषणा के बाद लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और इसकी कटु आलोचना की जा रही है.
15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में अमेरिका के बेहद करीबी सहयोगियों..ब्रिटेन, फ्रांस और जापान ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. मिस्र की ओर से तैयार किए गए इस एक पन्ने के प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद् के पिछले 50 वर्षो के विभिन्न प्रस्तावों के रुख को दोहराया गया था, जिनमें यरूशलम पर इस्राइल की संप्रभुता के दावों को खारिज किया गया है. उन्होंने चेताया कि यरूशलम के संबंध में अमेरिका की दशकों पुरानी नीति से अलग हटकर ट्रंप द्वारा की गई घोषणा दुनिया के सबसे जटिल तनाव को सुलझाने के प्रयासों को कमजोर करेगी.
ट्रंप प्रशासन ने पहली बार वीटो का प्रयोग किया है. अमेरिका ने पिछले छह वर्ष में पहली बार वीटो इस्तेमाल किया है. वीटो का बचाव करते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने कहा, वास्तविकता यह है कि इस वीटो का प्रयोग अमेरिका की संप्रभुता की रक्षा और पश्चिम एशिया की शांति प्रक्रि या में अमेरिकी की भूमिका के बचाव के लिए किया गया है और यह हमारे लिए शर्मिदगी की बात नहीं है. यह सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों के लिए शर्मिदगी का कारण होना चाहिए.
मसौदा प्रस्ताव पर हेली ने कहा, आज सुरक्षा परिषद में जो हुआ वह अपमान है. इस्राइल-फिलिस्तीन मामले में संयुक्त राष्ट्र फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है, इसका एक बड़ा उदाहरण यह प्रस्ताव है. उन्होंने कहा, अमेरिका को कोई देश यह नहीं बता सकता है कि वह अपना दूतावास कहां स्थापित करे..अपना दूतावास कहां स्थापित करना है, सिर्फ इस फैसले पर अमेरिका को अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए आज विवश होना पड़ा है. रिकार्ड दिखाएगा कि हमने यह गर्व के साथ किया है. यरूशलम में अमेरिकी दूतावास की स्थापना और शहर को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के ट्रंप के फैसले को वापस लेने संबंधी प्रस्ताव का अमेरिका के करीबी सहयोगियों ब्रिटेन, फ्रांस और जापान ने भी समर्थन किया है.
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