नेपाल में वाम गठबंधन जीत की राह पर

Last Updated 12 Dec 2017 06:24:44 AM IST

नेपाल की मुख्य कम्युनिस्ट पार्टी और पूर्व माओवादी विद्रोहियों का गठबंधन भारी जीत की तरफ अग्रसर है. सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर नेपाल में इस गठबंधन की अगली सरकार बनने की संभावना है.


काठमांडो में सोमवार को वाम गठबंधन की भारी जीत की संभावना के बीच जश्न मनाते सीपीएन-यूएमएल के कार्यकर्ता.

इसने ऐतिहासिक प्रांतीय और संसदीय चुनावों में 106 सीटों पर जीत दर्ज की है.
पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन-माओवादी ने ऐतिहासिक चुनाव के लिए गठबंधन किया था, जिसे नेपाल में दो दशक के संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के बाद एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है. नेपाल में वर्ष 2006 में गृह युद्ध समाप्त होने के बाद से चुनाव परिणाम से नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना में मदद मिलेगी, जिसके लिए वह पिछले 11 वर्षो से संघषर्रत है. वर्ष 2006 से नेपाल 10 प्रधानमंत्री देख चुका है.
चुनाव आयोग द्वारा आज जारी परिणामों के मुताबिक प्रथम चरण के चुनावों में कुल 165 सीटों में से 74 पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- एकीकृत मार्क्‍सवादी लेनिनवादी ने जीत दर्ज की है. उसके बाद इसके सहयोगी दल सीपीएन-माओवादी सेंटर ने 32 सीटों पर जीत हासिल की है. नेपाल के 275 सदस्यीय संसद में वाम गठबंधन के स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ते देख ओली को प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है. वह शेर बहादुर देउबा का स्थान ले सकते हैं.

ओली ने झापा-पांच संसदीय क्षेत्र से नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार खगेन्द्र अधिकारी को 28 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया. उन्हें 57 हजार 139 वोट मिले जो चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को मिले सर्वाधिक वोट हैं. सीपीएन-माओवादी सेंटर के नेता प्रचंड को चितवन-तीन संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित घोषित किया गया. उन्होंने राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के बिक्र म पांडेय को दस हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया. प्रचंड को 41 हजार 574 वोट मिले.
सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस पिछले चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी थी और इसे भारत का करीबी माना जाता है लेकिन इस बार 20 सीटों के साथ यह पार्टी तीसरे स्थान पर है. इसके बाद दो मधेसी पार्टियों राष्ट्रीय जन पार्टी नेपाल और फेडरल सोशलिस्ट फोरम नेपाल का स्थान है जिन्हें क्र मश: दस और नौ सीटें मिली हैं. दोनों मधेसी दलों की कुल संख्या 19 है. नए संविधान को 2015 में अंगीकृत किए जाने के बाद मधेसी समूह ने कई महीने तक प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि प्रांतों में उन्हें पर्याप्त क्षेत्र नहीं दिया जा रहा है और उनके साथ भेदभाव भी हो रहा है. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टराई के नेतृत्व वाले नया शक्ति नेपाल, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, नेपाल वर्कर्स एंड पीजेंट्स पार्टी तथा राष्ट्रीय जनमोर्चा को एक-एक सीट हासिल हुई है. तीन निर्दलीय भी संसद के लिए चुने गए हैं.

भाषा


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