ट्रंप ने की अफगानिस्तान में स्थिरता हासिल करने के लिए भारत से और योगदान की अपील
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता हासिल करने के लिए भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझीदारी को बढ़ाने का आज संकल्प लिया.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो) |
उन्होंने नयी दिल्ली से इस युद्ध ग्रस्त देश में, खासकर आर्थिक क्षेत्र में और मदद मुहैया कराने का दबाव बनाया क्योंकि भारत अमेरिका के साथ व्यापार से अरबों डॉलर कमाता है.
ट्रंप ने कमांडर-इन-चीफ के तौर पर पहली बार प्राइम टाइम में टेलीविजन पर देशवासियों को संबोधित करते हुए दक्षिण एशिया के बारे में अपनी नीति के बारे में बताया और कहा कि इसका अहम हिस्सा भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझीदारी को और विकसित करना है.
उन्होंने कहा कि समग्र समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया कि अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया में अमेरिकी रणनीति में नाटकीय बदलाव आएगा.
अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत से अपील की कि वह अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता लाने के लिए, विशेषकर आर्थिक क्षेत्र में और योगदान दे. उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत अमेरिका का अहम सुरक्षा एवं आर्थिक साझीदार है.
ट्रंप ने कहा, हम अफगानिस्तान में स्थिरता लाने में भारत के अहम योगदान की प्रशंसा करते हैं, लेकिन भारत अमेरिका के साथ व्यापार से अरबों डॉलर कमाता है और हम चाहते हैं कि वह अफगानिस्तान के संबंध में, खासकर आर्थिक सहयोग एवं विकास के क्षेत्र में हमारी और मदद करे.
उन्होंने कहा, हम दक्षिण एशिया और व्यापक भारत प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के हमारे साझे हितों को हासिल करने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वस्तु एवं सेवा क्षेत्र में भारत एवं अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2016 में बढ़कर 114 अरब डॉलर हो गया था जो वर्ष 2014 में 104 अरब डॉलर था.
भारत की अफगानिस्तान के साथ रणनीतिक साझीदारी है और वह देश में आधारभूत संरचनाओं के पुनर्निमाण में मदद करने के लिए दो अरब डॉलर की परियोजनाएं लागू कर रहा है.
भारत शांति एवं सुलह के लिए अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान के स्वामित्व वाली, व्यापक एवं समग्र प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा अफगानिस्तान में सतत् एवं दीर्घकालीन प्रतिबद्धता की आवश्यकता की वकालत करता रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पिछले साल जून में एक ऐतिहासिक बांध का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया था जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हेरात प्रांत में भारत की 1700 करोड़ रुपए की परियोजना है.
ट्रंप ने अपने संबोधन में आतंकवादी समूहों को समर्थन देने को लेकर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की और कहा कि इस्लामाबाद अमेरिका से अरबों डॉलर की मदद प्राप्त करता है, इसके बावजूद वह आतंकवादियों को पनाह मुहैया करा रहा है.
ट्रंप ने कहा, हम आतंकवादी संगठनों, तालिबान और क्षेत्र एवं इससे आगे भी खतरा पैदा करने वाले अन्य समूहों को पाकिस्तान द्वारा मुहैया कराई जा रही पनाहगाहों को लेकर अब खामोश नहीं रह सकते.
उन्होंने कहा, अतीत में, पाकिस्तान हमारा महत्वपूर्ण साझीदार रहा है. हमारी सेनाओं ने साझे दुश्मनों के खिलाफ मिलकर काम किया है. पाकिस्तानी लोगों ने आतंकवाद एवं अतिवाद के कारण काफी कुछ झेला है. हम इस योगदान एवं बलिदान की कद्र करते हैं. उन्होंने कहा, लेकिन पाकिस्तान ने कुछ ऐसे संगठनों को शरण भी मुहैया कराई है जो हमारे लोगों को मारने की रोजाना कोशिश करते हैं.
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान को अरबों डॉलर दे रहा है लेकिन वह अमेरिका के खिलाफ लड़ रहे आतंकवादियों को ही पनाह दे रहा है. उन्होंने कहा, लेकिन इसे बदलना होगा. यह तत्काल बदलेगा. अमेरिकी सेना के सदस्यों एवं अधिकारियों को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों को शरण देने वाले किसी देश के साथ कोई साझीदारी बनी नहीं रह सकती. अब समय आ गया है कि पाकिस्तान सभ्यता, व्यवस्था एवं शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाए.
ट्रंप के संबोधन के बाद अमेरिका के विदश मंत्री रेक्स टिलरसन ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति की तरह दक्षिण एशिया संबंधी नई रणनीति में भारत की विस्तृत भूमिका की बात की.
उन्होंने कहा, भारत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों में अहम साझीदार रहेगा और हम अफगानिस्तान के राजनीतिक एवं आर्थिक आधुनिकीकरण को समर्थन मुहैया कराने में उसके योगदान का स्वागत करते हैं.
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