मोदी ने अमेरिकी कंपनियों के सीईओ को भारत में निवेश को आमंत्रित किया, जीएसटी को क्रांतिकारी बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की शीर्ष कंपनियों के प्रमुखों से भारत में निवेश करने का आह्वान करते हुए आज कहा कि भारत अब एक कारोबार हितैषी देश के रूप में उभरा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की शीर्ष कंपनियों के सीईओ के साथ फोटो खिंचवाते हुए. |
मोदी ने देश में अगले महीने से लागू होने जा रही माल एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली को कारोबार में सुगमता के लिए परिवर्तन लाने वाला बताया.
मोदी ने अमेरिका की 20 शीर्ष कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के साथ एक गोलमेज बैठक में कहा कि पिछले तीन साल में राजग (मोदी सरकार) सरकार की नीतियों के चलते भारत ने सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकषर्ति किया है.
मोदी ने करीब 90 मिनट की बैठक के बाद ट्वीट किया, शीर्ष सीईओ के साथ बातचीत की. हमने भारत में अवसरों को लेकर व्यापक चर्चा की.
इस बैठक में एपल के टिम कुक, गूगल के सुंदर पिचाई, सिस्को के जॉन चैंबर्स और अमेजन के जेफ बेजोस मौजूद थे. मोदी ने अपनी सरकार की ओर से पिछले तीन साल में उठाये गये और निकट भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी दी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से कहा, सारी दुनिया भारत की ओर देख रही है. भारत सरकार ने 7000 सुधार अकेले कारोबार सुगमता और न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के लिए किए हैं.
बागले के अनुसार मोदी ने कंपनी प्रमुखों से कहा कि भारत की वृद्धि उसके और अमेरिका दोनों के लिए फायदेमंद हैं. अमेरिकी कंपनियों के सामने इसमें योगदान देने का एक अच्छा अवसर है.
मोदी ने कहा, जीएसटी को लागू किये जाने का ऐतिहासिक फैसला अमेरिका के बिजनेस स्कूलों में अध्ययन का विषय हो सकता है. विलार्ड होटल में मोदी ने कंपनी प्रमुखों की मांगों को धैर्यपूर्वक सुना. मोदी विलार्ड होटल में ही रूके हुए हैं और उन्होंने यह बैठक इसी होटल में की.
प्रधानमंत्री ने 500 रेलवे स्टेशनों पर पीपीपी (सार्वजनिक निजी साझेदारी) मॉडल के आधार पर होटलों को विकसित करके पर्यटन के असवरों की ओर इंगित किया.
बागले ने ट्वीट किया, प्रधानमंत्री ने अपनी समापन टिप्पणी में स्टार्ट अप के लिए सहयोग के महत्व, नवोन्मेष और भारत में विशाल बौद्धिक, शैक्षिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण क्षमताओं के उपयोग पर जोर दिया.
बैठक में उपस्थित सभी सीईओ ने मेक इन इंडिया , डिजिटल इंडिया , स्टार्ट अप इंडिया और सरकार की अन्य महत्वपूर्ण पहलों में सहयोग व्यक्त किया.
बागले ने ट्वीट किया, सभी सीईओ ने कारोबार करना आसान बनाने के लिए सरकार की ओर से उठाये गए कदमों की प्रशंसा की.
बागले ने कहा, कंपनियों के सीईओ ने भारत में प्राथमिकताओं के साथ ही समावेशी विकास के अनुरूप परस्पर लाभकारी साझेदारी के लिए सुझाव रेखांकित किये. बागले ने कहा कि उन्होंने भारत के साथ आगे बढ़ने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी और भारत को एक आकषर्क प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वाले स्थल के तौर पर प्रमाणित किया.
पिचाई ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि वे भारत में निवेश करने को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने गत तीन वर्षो में भारत सरकार की ओर से उठाये गए कदमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अमेरिकी कंपनियों को जीएसटी लागू होने का बेसब्री से इंतजार है. कुक ने बैठक से निकलते हुए कहा, अच्छा रहा.
अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि सीईओ ने प्रधानमंत्री की ओर से उठाये जा रहे सुधारों की प्रशंसा की और भारत को कारोबार अनुकूल स्थल बनाने के उनके प्रयासों को रेखांकित किया. अघी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि एच.1 बी मुद्दे पर बैठक में चर्चा नहीं हुई.
इस बैठक में अन्य कंपनी प्रमुखों में एडोब के शांतनु नारायण, मास्टर कार्ड के अजय बंगा, इमरसन के डेविड फार्, डेलॉइट ग्लोबल के डो मैक मिलन और पुनीत रंजन भी मौजूद थे.
प्रधानमंत्री की कंपनी प्रमुखों के साथ एक समूह तस्वीर साझा करते हुए बागले ने कहा, भारत-अमेरिका आथर्कि साझेदारी को मजबूती प्रदान करते हुए.
हाल ही में एक नीति दस्तावेज में यूएसआईबीसी ने कहा था कि अमेरिका-भारत वाणिज्यिक और रणनीतिक संबंध वैश्विक सुरक्षा का समर्थन करते हैं, आथर्कि वृद्धि का प्रसार करते हैं और दोनों देशों एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए रोजगार का निर्माण करते हैं.
यूएसआईबीसी ने कहा, आज हम वैश्विक व्यवस्था में बदलाव देख रहे हैं. दोनों देशों के सामने एक अवसर उभर कर आया है कि वे द्विपक्षीय संबंधों में नए मानकों को स्थापित करें जो उनके साझा मूल्यों को प्रतिबिंबित करेगा.
एक अलग बयान में इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन के कार्यकारी निदेशक जगदीप आहलूवालिया ने कहा कि अमेरिका और भारत परस्पर अच्छे संबंधों को साझा करते हैं और मोदी की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ यह पहली सीधी मुलाकात दोनों देशों के बीच संबंध को और मजबूत करेगी.
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