ओबामा ने 'इस्लामी आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल नहीं करने के अपने फैसले का बचाव किया

Last Updated 29 Sep 2016 03:25:53 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 'इस्लामी आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल नहीं करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह एक 'तरीके से गढ़ा गया' मुद्दा है.


अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा (फाइल फोटो)

इस्लाम को आतंकवाद के साथ जोड़ने का कोई धार्मिक तर्क नहीं है जिन्होंने अपनी बर्बरता को सही ठहराने के लिए इसे 'तोड़ मरोड़कर' पेश किया है.

ओबामा ने वर्जीनिया में एक सैन्य टाउन हाल में कहा, ''सच्चाई यह है कि यह एक तरीके से गढ़ा गया मुद्दा है क्योंकि इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि अलकायदा या आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों ने मूल रूप से बर्बरता एवं मौत को सही ठहराने के लिए तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा है और इस्लाम के ठेकेदार होने का दावा करने की कोशिश की है.''

उन्होंने कहा, ''ये ऐसे लोग है जो बच्चों की हत्या करते हैं, मुसलमानों की जान लेते हैं और यौन दासियां बनाते हैं. कोई भी धार्मिक तर्क उनकी किसी भी हरकत को सही नहीं ठहरा सकता है.''

ओबामा ने कहा कि उन्होंने बेहद सावधानी से हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि इन ''हत्यारों'' को अमेरिका समेत विश्व भर में रहने वाले उन करोड़ों मुस्लिमों के साथ नहीं जोड़ा जाए जो शांतिप्रिय हैं, जिम्मेदार हैं, जो इस देश की सेना में हैं, पुलिस अधिकारी हैं, दमकलकर्मी हैं, शिक्षक हैं, पड़ोसी हैं और मित्र हैं.

ओबामा ने कहा, ''मैंने अमेरिका और विदेश में स्थित इनमें से कुछ मुस्लिम परिवारों से बात करके यह पाया है कि जब आप इन संगठनों को 'इस्लामी आतंकवादी' कहना शुरू कर देते हैं, तो विश्वभर में हमारे मित्र एवं सहयोगी को जो संदेश जाता है उससे ऐसा लगता है कि किसी न किसी तरह इस्लाम आतंकवाद को बढ़ावा देता है.



ओबामा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ''इससे उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे उन पर हमला बोला जा रहा है. ऐसी स्थिति में कुछ मामलों में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनका सहयोग पाना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो जाता है.''

उन्होंने कहा, ''इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये लोग (आतंकवादी) सोचते हैं और दावा करते हैं कि वे इस्लाम के लिए बोल रहे है लेकिन वे जो करते हैं, मैं उसे सही नहीं ठहराना चाहता.''

ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के ''इच्छुक'' कुछ लोगों को भी इस प्रकार की भाषा के इस्तेमाल से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि आवजन के लिए धर्म संबंधी परीक्षा एक ''स्लिपरी स्लोप'' (ऐसी खराब स्थिति जो बाद में और खराब हो जाएगी) है.

 

 

भाषा


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