एनएसजी में भारत के प्रवेश को चीन की ओर से रोकना नैतिक रूप से उचित: मीडिया

Last Updated 28 Jun 2016 02:41:30 PM IST

चीन के एक सरकारी अखबार ने कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के प्रयास का चीन की ओर से विरोध करना ‘नैतिक रूप से उचित’ है और पश्चिम ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में नयी दिल्ली को दंभी बनाकर उसे बिगाड़ दिया है.


एनएसजी में भारत को रोकना उचित: चीन
     
‘ग्लोबल टाइम्स’ ने संपादकीय में कहा कि 48 सदस्यीय समूह में भारत के प्रवेश को चीन ने नहीं, बल्कि नियमों ने रोका.
      
उसने कहा कि चीन सहित करीब 10 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को एनएसजी में शामिल करने का विरोध किया.
      
अखबार के संपादकीय में कहा गया है, ‘‘भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है, लेकिन एनएसजी में शामिल होने का सबसे सक्रिय आवेदक है. सोल बैठक से पहले भारतीय मीडिया ने भारत के प्रयास को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया. कुछ ने यहां तक दावा कर दिया कि चीन को छोड़कर एनएसजी के अन्य 47 सदस्यों ने हरी झंडी दे दी है.’’
      
उसने कहा, ‘‘भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर किए बिना एनएसजी में शामिल होकर पहला अपवाद बनना चाहता है. यह चीन और दूसरे सदस्यों के लिए नैतिक रूप से उचित है कि वे सिद्धांतों के बचाव में भारत के प्रस्ताव को गिराएं.’’
      
अपने राष्ट्रवादी रूख की पहचान रखने वाले इस अखबार ने कहा कि भारत पश्चिम के लिए चहेता बनता जा रहा है.
      
उसने भारत के एनएसजी के नाकाम प्रयास को लेकर भारतीय मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया की आलोचना की, हालांकि उसने कहा कि भारत सरकार ने ‘विनम्रतापूर्वक’ व्यवहार किया.
      
चीन के सरकारी अखबार ने कहा, ‘‘कुछ भारतीय बहुत अधिक अधिक आत्मकेंद्रित और आत्मसंतुष्ट हैं. दूसरी तरफ भारत सरकार ने विनम्रतापूर्वक व्यवहार किया और बातचीत की इच्छुक है. छींटाकसी करना नयी दिल्ली के लिए कोई विकल्प नहीं होगा.’’
      
इसके संपादकीय में कहा गया, ‘‘भारत के राष्ट्रवादियों को यह सीखना चाहिए कि उनको कैसे व्यवहार करना है. अगर वे चाहते हैं कि उनका देश बड़ी ताकत हो तो उनको यह जानना चाहिए कि कैसे बड़ी ताकतें अपना काम करती हैं.’’
      
अखबार ने कहा, ‘‘अमेरिका के समर्थन से भारत की अकांक्षा को सबसे अधिक प्रोत्साहन मिला. भारत के साथ निकटता बढ़ाकर वाशिंगटन की भारत नीति का असल मकसद चीन को नियंत्रित करना है.’’
      
उसने कहा, ‘‘अमेरिका ही पूरी दुनिया नहीं है. उसके समर्थन का यह मतलब नहीं है कि भारत को पूरी दुनिया का समर्थन मिल गया. इस बुनियादी तथ्य को भारत नजरअंदाज करता आ रहा है.’’
      
भारत के मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में प्रवेश पर अखबार ने कहा कि एमटीसीआर ने भारत को सदस्य बना लिया, लेकिन चीन को इंकार कर दिया. इसके बावजूद चीन की जनता में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.
 



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