अमेरिका ने कहा, 2016 के अंत तक NSG में शामिल होगा भारत
अमेरिका ने भारत को एनएसजी के मामले पर भरोसा दिलाते हुए कहा है अभी भी हमारे पास एक रास्ता बचा हुआ है जिससे भारत एनएसजी का पूर्ण मेंबर बन जाएगा.
(फाइल फोटो) |
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की एंट्री की उम्मीदों पर पानी फिरने के बाद अमेरिका ने भारत को दिलासा दिया है. ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हमारे पास इस साल के अंत तक आगे का एक रास्ता है. इस पर थोड़ा काम करने की जरूरत है.
उल्लेखनीय है कि अमेरिका समेत दुनिया के 38 देशों ने इस मुद्दे पर भारत का सपोर्ट किया था. परन्तु चीन तथा उसके समर्थक देशों के विरोध के चलते भारत को एनएसजी मेंबरशिप नहीं मिल सकी थी.
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) की सिओल में हुई 2 दिन की प्लेनरी मीटिंग में भारत की मेंबरशिप का चीन समेत 10 देशों ने विरोध किया था. चीन ने कहा था कि केवल नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर साइन करने वाले देशों को ही एनएसजी में शामिल करना चाहिए.
चीन का यह भी कहना था कि अगर भारत को एनएसजी मेंबरशिप मिलती है तो पाकिस्तान को भी मिलनी चाहिए। इस वजह से भारत की दावेदारी कमजोर हो गई थी.
भारत को सपोर्ट करने वाले देशों में अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन जैसे बड़े देशों सहित अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, सायप्रस, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, जापान, कजाखस्तान, आइसलैंड, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, लात्विया, लिथुआनिया, लग्जमबर्ग, माल्टा, मेक्सिको, नीदरलैंड्स, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रशियन फेडरेशन, सर्बिया, स्लोवाकिया, स्पेन, स्वीडन, यूक्रेन शामिल थे.
भारत का विरोध करने वालों में चीन, स्विट्जरलैंड, साउथ अफ्रीका, नॉर्वे, ब्राजील, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और तुर्की शामिल हैं.
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