बराक ओबामा ने हिरोशिमा परमाणु स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की

Last Updated 27 May 2016 06:06:29 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को जापान के हिरोशिमा की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान विश्व के पहले परमाणु हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की.




बराक ओबामा ने हिरोशिमा परमाणु स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की.

ओबामा इस स्थल का दौरा करने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बन गए हैं. उन्होंने स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा, ''71 वर्ष पहले आसमान से मौत गिरी थी और दुनिया बदल गई थी.''

ओबामा जब पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तब वह उदास लग रहे थे. उन्होंने अपना सिर झुकाया हुआ था और पीछे हटने से पहले वह थोड़ा रूके और अपनी आंखें बंद की. उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए देखा. उन्होंने कहा कि बम ने ''यह दिखाया कि मानव जाति के पास स्वयं को नष्ट करने का जरिया है.''

उन्होंने कहा, ''हम इस स्थान हिरोशिमा पर क्यों आये? हम उस भयावह ताकत के बारे में मंथन करने आये हैं जो हालिया अतीत में हमारे सामने घटित हुआ था. हम मृतकों के प्रति शोक व्यक्त करने के लिए आये हैं.''

ओबामा ने कहा, ''उनकी आत्माएं हमसे बात करती हैं, वे हमसे अपने भीतर झांकने के लिए कहती हैं, यह परखने के लिए कहती हैं कि हम कौन हैं.'' उन्होंने कहा, ''प्रौद्योगिकी प्रगति मानवीय संस्थानों में बराबर की प्रगति के बिना हमें बर्बाद कर सकती है. वैज्ञानिक क्रांति जिसके चलते परमाणु विखंडन हुआ उसके लिए एक नैतिक क्रांति की भी जरूरत है.''

उन्होंने कहा, ''इसी कारण से हम शहर के बीचोंबीच स्थित इस स्थान पर आये हैं, हम यहां खड़े हुए हैं और स्वयं को उस क्षण को याद करने के लिए मजबूर कर रहे हैं जब बम गिरा था.''

ओेबामा ने कहा, ''हम स्वयं को इसके लिए बाध्य कर रहे है कि हम उन बच्चों के भय को महसूस करें जो वे अपने आसपास के मंजर को देखकर घबराये हुए थे. हम विलाप की मूक आवाज सुन रहे हैं.''

इस बीच बीजिंग से मिली खबर के अनुसार चीन की सरकारी मीडिया ने कहा कि ''जापान पर परमाणु हमला उसके स्वयं के कृत्यों का परिणाम था.'' चीन की सरकारी 'चाइना डेली' ने कल प्रकाशित संपादकीय में कहा कि बम हमला जापान के ''अपने कृत्यों का नतीजा'' था. उसने जापान के वर्तमान समय के अधिकारियों पर ''जापान को प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख दोषियों के बजाय पीड़ित के तौर पर पेश करने का आरोप लगाया.''

वहीं सोल से मिली खबर के अनुसार उत्तर कोरिया ने ओबामा की 'बचकानी' हिरोशिमा यात्रा की हंसी उड़ायी.  उत्तर कोरिया की सरकारी केसीएनए संवाद समिति ने कल कहा कि ओबामा का अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर 1945 परमाणु बम हमला स्थल का दौरा करने का निर्णय चौंकाने वाला पाखंडी कृत्य है. उसने कहा, ''यह एक बचकानी राजनीतिक पहल है.''

हिरोशिमा और नागाशाकी परमाणु हमले के मुख्य बिंदु

1. जर्मनी द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान का पराजित साथी था. उसने मई में ही समर्पण कर दिया था. जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन युद्ध के बाद की स्थिति पर विचार करने के लिए जर्मनी के पोट्सडम शहर में मिले. प्रशांत क्षेत्र में युद्ध समाप्त नहीं हुआ था. जापान अभी भी मित्र देशों के सामने समर्पण करने को तैयार नहीं था.

2. पोट्सडम में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन को यह खबर मिली कि न्यू मेक्सिको में परमाणु बम का परीक्षण सफल रहा है और लिटल बॉय नाम का बम प्रशांत क्षेत्र की ओर भेजा जा रहा है. परमाणु बम के इस्तेमाल की तैयारी पूरी हो चुकी थी और पोट्सडम में ही ट्रूमैन और चर्चिल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि यदि जापान फौरन बिना शर्त हथियार डालने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल किया जाएगा.

3. जापान के समर्पण नहीं करने पर हिरोशिमा पर हमले के लिए पहली अगस्त 1945 की तारीख तय की गई. लेकिन तूफान के कारण इस दिन हमले को रोक देना पड़ा. पांच दिन बाद इनोला गे विमान 13 सदस्यों वाले कर्मीदल लेकर हमले के लिए रवाना हुआ. लड़ाकू विमान के कर्मियों को उड़ान के दौरान पता लगा कि उन्हें लक्ष्य पर परमाणु बम गिराना है

4. 6 अगस्त 1945. जापानी समय के अनुसार सुबह के 8 बजकर 15 मिनट. हिरोशिमा शहर के केंद्र से 580 मीटर की दूरी पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ. शहर का 80 प्रतिशत हिस्सा इस विस्फोट की चपेट में आया. जैसे नाभिकीय आग का गोला फूटा हो जिसमें इंसान, जानवर और पौधे जल गए. मलबे में तब्दील शहर और लोगों की त्रासदी के बीच मानव सभ्यता को एक नया प्रतीक मिला, परमाणु बम का कुकुरमुत्ते जैसा गुबार.

5. उस वक़्त के आंकड़े बताते हैं कि परमाणु बम हमले के बाद हिरोशिमा के ढाई लाख निवासियों में 70-80 हजार की फौरन मौत हो गई. धमाके के कारण पैदा हुई गर्मी में पेड़ पौधे और जानवर भी झुलस गए. इस इमारत को छोड़कर कोई भी इमारत परमाणु बम की ताकत को बर्दाश्त नहीं कर पाई. यह इमारत थी धमाके से 150 मीटर दूर शहर के वाणिज्य मंडल की. लकड़ी के बने कुछ पुराने मकान परमाणु हमले और उसके बाद हुई तबाही की दास्तान सुनाने के लिए बच गए.

6. हिरोशिमा में परमाणु धमाके के आस पास के लोगों के लिए मौत से बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी. दूर में जो बच गए उनका शरीर बुरी तरह जल गया था. जलने, विकिरण का शिकार और घायल होने के कारण लोगों का मरना कई दिनों और महीनों में भी जारी रहा. पांच साल बाद परमाणु हमलों में मरने वालों की संख्या 230,000 आंकी गई.

7.हिरोशिमा पर हुए हमले के बावजूद जापान समर्पण के लिए तैयार नहीं था. संभवतः अधिकारियों को हिरोशिमा में हुई तबाही की जानकारी नहीं मिली थी, लेकिन उसके तीन दिन बाद अमेरिकियों ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया. पहले क्योटो पर हमला होना था लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री की आपत्ति के बाद नागासाकी को चुना गया. फैट मैन नाम का बम 22,000 टन टीएनटी की शक्ति का था. हमले में करीब 40,000 लोग तुरंत मारे गए.



8. नागासाकी पर परमाणु हमले के एक दिन बाद जापान के सम्राट हीरोहीतो ने अपने कमांडरों को देश की संप्रभुता की रक्षा की शर्त पर समर्पण करने का आदेश दिया. लेकिन अमेरिका सहित बाकी देशों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया और हमले जारी रखे. उसके बाद 14 अगस्त को एक रेडियो भाषण में सम्राट हीरोहीतो ने प्रतिद्वंद्वियों के पास "अमानवीय" हथियार होने की दलील देकर बेशर्त समर्पण करने की घोषणा की.

9. औपचारिक रूप से युद्ध 12 सितंबर 1945 को समाप्त हो गया. लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों का शिकार होने वालों की तकलीफ का अंत नहीं हुआ है. इस तकलीफ ने जापान के बहुमत को युद्धविरोधी बना दिया है.

10. अगस्त 1945 के हमले के बाद से दुनिया भर के लोग इस हमले की याद करते हैं. हिरोशिमा में बड़ी स्मारक सभा होती है जहां दुनिया को चेतावनी देने जीवित बचे लोगों के अलावा राजनीतिज्ञ और दुनिया भर के मेहमान भी आते हैं. बहुत से जापानी अब परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए सक्रिय हैं. मगर उस परमाणु हमले का असर आज भी वहा के आम जन जीवन में देखने को मिलाता है

 

अनिता चौधरी
समय


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