संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए पेरिस में जुटेंगे दुनिया भर के नेता

Last Updated 29 Nov 2015 09:04:22 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित दुनिया भर के करीब 150 नेता कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के दीर्घकालीन समझौते तक पहुंचने के लिए पेरिस में सोमवार से शुरू हो रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शरीक होंगे.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

यह सम्मेलन पेरिस में हुए आतंकवादी हमले के बाद हो रहा है.
   
मोदी ने फ्रांस की राजधानी के लिए रवाना होने के साथ रविवार को टिप्पणी की कि यह सबकी जिम्मेदारी है कि ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ काम किया जाए. वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने बढ़ते ग्रीन हाउस उत्सर्जन से निपटने के लिए एक टिकाऊ सार्वभौम करार की जरूरत का जिक्र किया.
   
प्रधानमंत्री ने भारत से रवाना होने से ठीक पहले कहा, ‘‘सम्मेलन में, हम पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे.’’
   
मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम का उपयोग भी यह कहने में किया कि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित है.
   
उन्होंने कहा, ‘‘इस पर हर जगह चर्चा है और चिंता जताई जा रही है. अब पृथ्वी का तापमान नहीं बढ़ना चाहिए. यह सभी की जिम्मेदारी और चिंता है.’’
   
विश्व के नेताओं का 12 दिवसीय सम्मेलन के लिए पेरिस पहुंचना शुरू हो गया है जो पेरिस हमले के मद्देनजर अभूतपूर्व सुरक्षा कवर में हो रहा है. इस हमले में 130 लोग मारे गए थे.
   
मोदी के अलावा अन्य नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के शी चिनफिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के आधिकारिक शुभारंभ में सोमवार को शरीक होंगे. इस सम्मेलन में प्रथम वास्तविक सार्वभौम जलवायु समझौते तक पहुंचना है.
   
30 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच हो रहा पेरिस जलवायु सम्मेलन का लक्ष्य पिछले 20 से भी अधिक साल में पहली बार जलवायु पर एक कानूनी बाध्यकारी और सार्वभौम समझौता करना है. साथ ही इसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है.
   
मोदी इस अहम सम्मेलन में भारतीय पेवैलियन का उद्घाटन करेंगे. वह इस मुद्दे पर भारत के रूख पर भाषण भी देंगे और प्रकृति, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को कम करने पर भारत के सौहार्द को भी जाहिर करेंगे.
   
मोदी फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांकवा ओलोंद के साथ सोमवार को संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ का भी शुभारंभ करेंगे.
   
काफी संख्या में राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष और कई देशों के मंत्री तथा संरा महासचिव बान की मून के अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ के उदघाटन के मौके पर उपस्थित रहने की उम्मीद है. इस अवधारणा का विचार मोदी ने दिया है.
   
उन्होंने ट्वीट किया कि सीओपी 21 में भारतीय पेवैलियन का उदघाटन होगा, जिसमें प्रकृति, पर्यावरण के साथ भारत के सौहार्द और जलवायु परिवर्तन को कम करने की भारत की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की जाएगी.
   
150 राष्ट्राध्यक्षों का जमावड़ा 2009 में कोपेनहेगेन में जमा हुए 115 वैश्विक नेताओं की तुलना में कहीं अधिक बड़ा होगा. वहां विश्व के नेता जलवायु परिवर्तन पर एक दीर्घकालीन समझौते के लिए आखिरी बार करीब आए थे.
   
बान ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि विश्व पेरिस में एक सार्वभौम जलवायु समझौता करेगा. यह समझौता अवश्य ही टिकाऊ होगा. इसे व्यापक और कम उत्सर्जन, जलवायु अनुकूल विकास द्वारा पैदा की गई एक दीर्घकालीन दूरदृष्टि मुहैया करनी चाहिए.’’
   
प्रेक्षकों का कहना है कि यहां हालिया आतंकवादी हमले नये समझौते की मौके बढ़ाएंगे. हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने दुनिया के नेताओं से जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी को बचाने की मांग की.
   
ओबामा का पेरिस सम्मेलन के प्रथम दिन प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का कार्यक्रम है. जलवायु परिवर्तन पर एक मजबूत वैश्विक करार के लिए मुख्य देशों के साथ काम करने की अमेरिकी कोशिश के तहत यह किया जाएगा.
   
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और ऊर्जा मंत्री पीयुष गोयल भी सम्मेलन में शरीक होंगे.
   
ऐसे 100 से अधिक देश हैं जो सौर ऊर्जा के मामले में समृद्ध हैं, ये देश पूरी तरह से या आंशिक रूप से कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित हैं.
   
प्रधानमंत्री मोदी ‘मिशन नवोन्मेष’ में भी शरीक होंगे जिसकी मेजबानी ओबामा कर रहे हैं.
   
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत का कहना है कि विकसित देश सदियों से बड़े प्रदूषक हैं और उन्हें विकासशील देशों को कोष मुहैया कर और कम कीमत पर प्रौद्योगिकी उपलब्ध करा कर ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में व्यापक भूमिका निभानी चाहिए.
   
जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले भारत ने कई अन्य देशों के साथ ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन 2005 के स्तर से 35 फीसदी कम करने का संकल्प लिया है.
   
अपने लक्षित राष्ट्रीय प्रतिबद्ध योगदान (आईएनडीसी) में भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत बढ़ाने पर जोर दिया है.     

माल्टा में रविवार को भारत और कुछ देशों ने कहा कि वे राष्ट्रमंडल में जोखिम का सामना कर रहे देशों को 25 लाख डॉलर मुहैया करेंगे ताकि उन्हें स्वच्छ ऊर्जा पेश करने में और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने में मदद मिले. 

विदेश मामलों के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है कि भारत ने राष्ट्रमंडल के छोटे देश वित्त सुविधा के लिए 25 लाख डॉलर की घोषणा की है. जैसा कि आप जानते हैं कि राष्ट्रमंडल के 53 देशों में 31 छोटे देश हैं और उनके लिए वित्त मुहैया करने महत्वपूर्ण है. 
   
सम्मेलन में सरकार, अंतरसरकारी संगठनों, संरा एजेंसियों, एनजीओ और सिविल सोसाइटी से 25,000 आधिकारिक सरकारी प्रतिनिधियों के आने की उम्मीद है.
   
मीडिया और दुनिया भर के करीब 3,000 पत्रकारों के लिए व्यापक बंदोबस्त किया गया है जिनके सम्मेलन में शरीक होने की उम्मीद है.
   
इस बीच हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने मानव श्रृंखला बना कर 195 सदस्यीय संरा जलवायु सम्मेलन के आधिकारिक उद्घाटन की पूर्व संध्या पर नेताओं को सांकेतिक संदेश दिया.



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