उत्सर्जन में कटौती की भारत की योजना ‘गंभीरता’ दर्शाती है: बान

Last Updated 25 Nov 2015 04:20:44 PM IST

ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती की भारत की योजना जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में उसकी गंभीरता दर्शाती है और इससे दुनिया को आगामी वर्षों में तापमान में कमी लाने में सहयोग मिलेगा.


संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख बान की मून

यह बात संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख बान की मून ने पेरिस शिखर सम्मेलन से पहले कही.
    
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने विकसित राष्ट्रों की जलवायु पर दोहरे मापदंड के प्रति भारत की चिंता का भी संज्ञान लिया और कहा कि विकसित देशों के जलवायु पर अग्रणी भूमिका निभाने का ‘‘सवाल नहीं’’ है.
    
बान ने कहा, ‘‘मैं भारत के इच्छित राष्ट्रीय प्रतिबद्ध योगदान (आईएनडीसी) का स्वागत करता हूं. मेरा मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे भारत की गंभीरता को दर्शाता है और इससे दुनिया को आगामी वर्षों में तापमान में कमी लाने में सहयोग मिलेगा.’’
    
अपने आईएनडीसी में भारत ने 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में प्रति इकाई उत्सर्जन में 35 फीसदी तक कटौती की पेशकश की है.
    
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को कन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी 21) के नाम से जाना जाता है और यह 30 नवम्बर से 11 दिसम्बर तक पेरिस में आयोजित होगा. इसका उद्देश्य जलवायु पर कानूनी रूप से बाध्यकारी और वैश्विक समझौता करना और वैश्विक तापमान के बढ़ने की दर को दो डिग्री से कम पर लाना है.
    
यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज की 21वीं बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित 120 से ज्यादा देशों के नेता हिस्सा लेंगे.



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