नेपाल के मधेसी आंदोलनकारियों ने त्योहार को लेकर प्रदर्शन वापस लिया

Last Updated 13 Oct 2015 08:30:10 PM IST

नेपाल के आंदोलनकारी मधेसी संगठनों ने मंगलवार को कहा कि वे भारतीय सीमा पर नाकेबंदी को छोड़कर अपने सारे प्रदर्शनकारी कार्यक्रम वापस ले लेंगे.


मधेसी आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन वापस लिया

आगामी विजय दशमी त्योहार को लेकर उन्होंने यह फैसला किया है. हालांकि, भारत से ईंधन की आपूर्ति में कुछ सुधार हुआ है.
  
ज्यादातर आंदोलनकारी मधेसी पार्टियों ने सीपीएन-यूएमएल से नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ अपना मत दिया था.
  
मधेसी मोर्चा ने चुनाव में मतदान करने के अपने कदम को उचित ठहराने पर चर्चा के लिए कई दौर की बैठकें की जिसे यहां नये संविधान को लागू करने में प्रथम कार्य के रूप में माना जाता है.
  
कई मधेसी कार्यकर्ताओं ने सत्ता की राजनीति में भाग लेने को लेकर अपने नेताओं की आलोचना भी की है. मधेसी पार्टियों ने अपनी चिंताओं को दूर करने में नाकाम रहने को लेकर संविधान की प्रतियां जलाई. हालांकि, उनके नेताओं की भागीदारी ने संविधान लागू करने में किसी न किसी रूप में मदद पहुंचाई.
  
बिजय गजाधर नीत मधेसी पीपुल्स राइट्स फोरम-डेमोक्रेटिक को छोड़ कर सभी अन्य मधेसी सांसदों ने ओली के प्रतिद्वंदी एवं पूर्व प्रधानमंत्री और नेकां प्रमुख सुशील कोइराला के पक्ष में मतदान किया.
  
गजाधर ने न सिर्फ ओली के समर्थन में मतदान किया बल्कि नयी कैबिनेट में उप प्रधानमंत्री का पद भी सुरक्षित कर लिया. उनके पास भौतिक नियोजन एवं परिवहन विभाग का प्रभार भी है.
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इसबीच, नयी सरकार के गठन के साथ पिछले दो दिनों में भारत से ईंधन की आपूर्ति में सुधार भी हुआ है जिससे त्योहारी मौसम से पहले लोगों को बड़ी राहत मिली है.
  
दरअसल, आंदोलनकारियों द्वारा सीमा चौकियों पर नाकेबंदी के चलते नेपाल त्योहार के समय पर आवश्यक वस्तुओं की घोर कमी का सामना कर रहा है.
  
नये संविधान के खिलाफ नेपाल में मधेसी और थारू समुदाय तथा जातीय अलपसंख्यक प्रदर्शन कर रहे हैं. एक महीने से अधिक समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में 40 से अधिक लोग मारे गए हैं.
  
पेट्रोलियम उत्पादों सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को लेकर नेपाल का भारत के साथ गतिरोध भी चल रहा है. सीमा की नाकेबंदी के चलते इन वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
  
मधेसी मोर्चा ने दावा किया है कि संविधान दक्षिणी नेपाल में रह रहे मधेसी और थारू समुदायों को पर्याप्त अधिकार और प्रतिनिधित्व नहीं देता.
  
मधेसी भारतीय मूल के लोग हैं जो भारत की सीमा से लगे तराई क्षेत्र में रहते हैं. वे नेपाल को सात प्रांतों में बांटने के भी खिलाफ हैं.



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