कोइराला ने नेपाल के प्रधानमंत्री पद से दिया इस्तीफा, नया प्रधानमंत्री चुनेगी संसद

Last Updated 10 Oct 2015 06:15:34 PM IST

नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.


नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला

उधर, देश के नए संविधान को लेकर भारत के साथ महत्वपूर्ण कारोबारी नाके को अवरूद्ध करने और प्रदर्शनों के बीच राजनीतिक दलों के आम सहमति बनाने में विफल रहने के बाद संसद नए प्रधानमंत्री के चुनाव की तैयारी में जुट गयी है.
   
कोइराला ने राष्ट्रपति राम बरन यादव को अपना इस्तीफा सौंपा जिन्होंने उसे स्वीकार कर लिया और उनसे नयी सरकार के गठन तक रोजमर्रा का प्रशासनिक कामकाज देखने को कहा.
   
संसद रविवार को नए प्रधानमंत्री का चुनाव करने के लिए तैयार है और ऐसे में कोइराला का इस्तीफा एक औपचारिकता मात्र है क्योंकि वह खुद फिर से प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.
  
कोइराला ने अपनी नेपाली कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश की है. उनका मुकाबला सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली से है.
   
कोइराला और ओली दोनों अपने नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ एनसी नेता शेर बहादुर देउबा ने कोइराला के नाम का प्रस्ताव किया है.
   
ओली के नाम का प्रस्ताव यूसीपीएन-मोओवादी के अध्यक्ष प्रचंड ने किया था और इसका अनुमोदन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष कमल थापा ने किया.
   
ओली प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं क्योंकि प्रचंड की यूसीपीएन-माओवादी समेत दर्जनभर से अधिक दलों ने उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है.
   
अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कोइराला ने कहा कि उन्होंने पार्टी के निर्देश पर चुनाव लड़ने का फैसला किया.
   
सात साल के लंबे विचार विमर्श से तैयार किए गए और 20 सितंबर को घोषित नए संविधान का मधेसी समूहों द्वारा विरोध किए जाने के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव हो रहा है.
   
शुक्रवार को नेपाल ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के मुद्दे पर भारत के साथ बने राजनयिक गतिरोध को दूर करने के लिए विदेश मंत्री की अगुवाई में एक तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था. नए संविधान का विरोध कर रहे मधेसी समूहों ने भारत के साथ व्यापार मार्गों को अवरूद्ध कर रखा है.
  
आंदोलनरत मधेसी फ्रंट का दावा है कि संविधान दक्षिणी नेपाल में रहने वाले मधेसियों और थारू समुदायों को पर्याप्त अधिकार और प्रतिनिधित्व की गारंटी प्रदान नहीं करता.
  
मधेसी भारत के साथ लगते सीमाई तराई क्षेत्र में रहने वाले भारतीय मूल के लोग हैं जो नेपाल को सात प्रांतों में बांटे जाने का विरोध कर रहे हैं.
   
इन दोनों समुदायों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में पिछले एक महीने से अधिक की अवधि में कम से कम 40 लोग मारे जा चुके हैं.



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