नेपाल में रविवार को मतविभाजन से नए प्रधानमंत्री का चुनाव

Last Updated 09 Oct 2015 09:45:59 PM IST

नेपाल के नये प्रधानमंत्री का चुनाव रविवार को संसद में मतविभाजन के जरिए होगा क्योंकि राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर सर्वसम्मति नहीं बन पायी है.


नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला

उधर, देश के नये संविधान को लेकर प्रदर्शन और भारत-नेपाल सीमा पर एक प्रमुख व्यापार चौकी की नाकेबंदी जारी है.
     
नेपाल के राष्ट्रपति डॉ. रामबरन यादव ने बहुमत के माध्यम से नये प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शुक्रवार को राजनीतिक दलों को बुलाया था.
     
राष्ट्रपति कार्यालय के नोटिस के मुताबिक राष्ट्रपति ने विधायी संसद में प्रतिनिधित्व वाले राजनीतिक दलों से नेपाल के नये संविधान के अनुसार बहुमत के माध्यम से प्रधानमंत्री का निर्वाचन करने को कहा क्योंकि सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री के चुनाव की समयसीमा गुरुवार को ही समाप्त हो गयी.
     
संसद के अध्यक्ष सुभाष नेम्बांग ने संसद को सूचित किया कि प्रधानमंत्री पद का चुनाव रविवार की सुबह होगा. राजनीतिक दलों को प्रधानमंत्री के पद के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम शनिवार तक देने होंगे.
     
प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने नये संविधान की उद्घोषणा के बाद पिछले हफ्ते इस शीर्ष पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया था जिसके बाद नये प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गयी.
     
नेपाली संसद में दूसरे सबसे बड़े दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- यूनीफाईड मार्क्‍सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) ने अपने अध्यक्ष खडग प्रसाद ओली को प्रधानमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है.
     
हालांकि संसद में सबसे बड़ा दल नेपाल कांग्रेस अबतक यह निर्णय नहीं ले सका है कि प्रधानमंत्री पद के लिए ओली का समर्थन किया जाए या अपना उम्मीदवार खड़ा किया जाए.
     
पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति ने इस मामले पर फैसला करने की जिम्मेदारी पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं- वर्तमान प्रधानमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष कोईराला, पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेता शेर बहादुर देऊबा और उपाध्यक्ष रामचंद्र पौडियाल को सौंपी है.
     
नये प्रधानमंत्री का चुनाव ऐसे वक्त हो रहा है जब सात सालों की वार्ता के बाद 20 सितंबर को उद्घोषित नये संविधान का मधेसी संगठन विरोध कर रहे हैं.
     
आंदोलनकारी मधेसी फ्रंट का दावा है कि संविधान दक्षिण नेपाल में रह रहे मधेसी और थारू समुदायों को पर्याप्त अधिकार एवं प्रतिनिधित्व नहीं प्रदान करता.
     
मधेसी भारत की सीमा से सटे तराई क्षेत्र में रहने वाले भारतीय मूल के लोग हैं जो नेपाल को सात प्रांतों में बांटने के विरूद्ध हैं.
     
मधेसी और थारू समुदायों के प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच झड़प में एक माह से अधिक की अवधि के दौरान कम से कम 40 लोगों की जान चली गयी.



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