नेपाल ने चीन का नाम लेकर भारत को धमकाया

Last Updated 05 Oct 2015 06:44:23 AM IST

नेपाल ने रविवार को भारत से कहा कि पेट्रोलियम और अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा डालकर उसे इस तरह से मजबूर ना करे कि उसे तमाम दिक्कतों के बावजूद चीन की तरफ जाने को विवश होना पड़े.


नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय (फाइल फोटो)

भारत द्वारा नेपाल के नेतृत्व को दिए गए इस आश्वासन पर कि जल्द से जल्द हालात का समाधान होगा, नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा, भारत को एक समय अवधि देना चाहिए. मतलब ये कि कितने घंटे, हफ्ते या महीना ? इस बीच, भारत ने इन अफवाहों का खंडन किया है कि उसने नेपाल को आपूर्ति पर रोक लगा दी है.

भारत ने कहा कि बाधा उस देश में प्रदर्शन एवं अशांति की वजह से पहुंची है क्योंकि भारतीय कंपनियों एवं ट्रांसपोर्टरों को अपनी सुरक्षा का डर सता रहा है. नेपाल में भारत के राजदूत रंजीत राय ने रविवार को प्रधानमंत्री सुशील कोइराला से शिष्टाचार भेंट की और नेपाल को आपूर्ति की बहाली से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.

उन्होंने कहा, अगर आप हमें मजबूर करेंगे या जैसा कि आप कहते हैं मरता क्या ना करता तो हम दूसरे देशों से संपर्क करने को विवश हो जाएंगे. साथ ही कहा, हालांकि, सामान भेजने संबंधी दिक्कतें है लेकिन अगर कोई विकल्प नहीं बचता तो नेपाल चीन सहित अन्य देशों से संपर्क करेगा. उपाध्याय ने कहा कि नेपाल जरूरी सामान की आपूर्ति में आ रही बाधा पर भारत को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि नई दिल्ली मामले को जल्द सुलझा लेगा खासकर यह देखते हुए कि हिमालयी देश में दशहरा और दिवाली जैसा त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है.

हाल में हुए भारत विरोधी प्रदर्शनों पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा, भारत ने जब भूंकप संकट के समय नेपाल की मदद की थी तब नेपाल में हर किसी ने उनकी प्रशंसा की और उनका शुक्रिया अदा किया लेकिन जब आपूर्ति में बाधा आएगी तो लोग प्रतिक्रिया देंगे और प्रदर्शन करेंगे. यह स्वाभाविक है. नेपाल में भारत विरोधी प्रदर्शन हुए हैं ऐसा इसलिए कि उन लोगों को लगता है कि उनकी सरकार द्वारा नये संविधान को लागू किये जाने के कारण उनसे बदला लिया जा रहा है क्योंकि भारत का मानना है कि नेपाल के सीमाई राज्यों में रहने वाले मधेशी, जातीय मूल के भारतीय समुदाय के साथ भेदभाव हुआ है और उसने साफ तौर पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की.

नेपाल का संविधान मसौदा तैयार होने के दौरान मधेशियों ने इन इलाकों में हिंसक प्रदर्शन भी किया था. जबर्दस्त समर्थन से संविधान पारित किये जाने के कुछ घंटे बाद ही हिंसा शुरू हो गयी और जरूरी रसद लेकर काठमांडो की तरफ जाने वाले ट्रकों को रोक दिया गया.

खबरों के मुताबिक दवाई, गैसोलीन, रसोई ईंधन एवं उत्पाद सहित अन्य सामानों के साथ सैकड़ों ट्रक सीमा पर इंतजार में खड़े हैं. भारत ने उन सुझावों को खारिज किया है कि उसने नेपाल को आपूर्ति में किसी तरह का अवरोध डाला है और उल्लेख किया है कि उनके देश में विरोध प्रदर्शन और अशांति से दिक्कतें आ रही है क्योंकि भारतीय कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को अपनी हिफाजत और सुरक्षा का डर है.

बहरहाल, नेपाली दूत ने कहा कि उनकी सरकार ने भारत को आासन दिया है कि नेपाल में प्रवेश करने पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल सरकार की किसी भी भूल से पैदा हुयी नकारात्मकता को भारत भूल जाए और सकारात्मक तरीके से आगे बढ़े जो कि दोनों देशों के लिए लाभकारी रहेगा क्योंकि दोनों देशों का मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध है.

उधर, नेपाली अधिकारियों के अनुसार नेपाल में भारत के राजदूत रंजीत राय ने रविवार को प्रधानमंत्री सुशील कोइराला से शिष्टाचार भेंट की और नेपाल को आपूर्ति की बहाली से जुड़े

मुद्दों पर चर्चा की. सरकारी नेपाल टेलीविजन के अनुसार भेंट के दौरान राय ने प्रधानमंत्री को रविवार से आपूर्ति स्थिति आसान होने का आासन दिया है.

भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा कि चूंकि पिछले कुछ दिनों से परिवहन बाधित रहा है, ऐसे में आपूर्ति सामान्य होने में कुछ वक्त लगेगा. अधिकारियों के अनुसार वन मंत्री महेश आचार्य की अगुवाई में सरकारी टीम और बिजय कुमार गछादर की अगुवाई में फेडरल डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है.


मधेसी, थारू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच एक माह से भी अधिक समय तक चली झड़प में कम से कम 40 लोगों की जान चली गई हैं. मधेसी भारत की सीमा से सटे तराई क्षेत्र में रहने वाले भारतीय मूल के लोग हैं और वे नेपाल को सात प्रांतों में बांटने के विरुद्ध हैं.

 



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