पाक अधिकारी ने माना, ‘हमारे मुल्क में ही रची गई थी मुंबई हमलों की साजिश’
पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी के पूर्व महानिदेशक तारिक खोसा ने सनसनीखेज खुलासा किया है.
‘पाक में ही रची गई थी मुंबई हमलों की साजिश’ |
उन्होंने कहा है कि मुंबई हमलों की साजिश पाकिस्तान की सरजमीं पर ही रची गयी थी.
पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ में लिखे एक लेख में खोसा ने कहा है कि पाकिस्तान ने अपनी सरजमीं से जो साजिश रची थी उसके दुष्प्रभावों से अब उसे खुद ही निबटना होगा. पाकिस्तान के समूचे सुरक्षा तंत्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि मुंबई हमलों के षड़यंत्रकारियों और सरगनाओं को सजा मिले. यह मामल अब बहुत लंबा खिंच गया है.’’
पाकिस्तान के दस आतंकवादी नवंबर 2008 में समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे थे और उनके हमले में 166 भारतीय और विदेशी नागिरक मारे गए थे.
हमलावरों में से एक आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया जबकि अन्य सुरक्षाबलों की कार्रवाई में मारे गए. कसाब को भारत में फांसी दे दी गई.
पाकिस्तानी सरकार पहले इस हमले के तार अपने देश से जुड़े होने को लेकर इंकार करती रही लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया कि कसाब और इस हमले के मास्टमाइंड पाकिस्तानी नागरिक थे.
खोसा ने कहा कि कसाब पाकिस्तानी और लश्कर ए तैयबा का आतंकवादी था और उसे सिंध में थट्टा के पास प्रशिक्षण दिया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘ प्रशिक्षण शिविर की पहचान कर ली गई थी और जांचकर्ताओं ने उसकी घेराबंदी भी कर दी. मुंबई हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उपकरणों के पैकेट भी इस शिविर से मिले.’’
पूर्व महानिदेशक ने कहा, ‘‘आतंकवादियों ने भारतीय नौका को हाइजैक करने के लिए जिस नाव का इस्तेमाल किया उसे वापस बंदरगाह लाया गया और उसे पेंट करके छुपा दिया गया. आतंकवादियों ने मुंबई बंदरगाह के नजदीक जिस छोटी नाव का इस्तेमाल किया उसके इंजन पर पेटेंट नंबर लिखा हुआ था जिससे जांचकर्ताओं को पता चला कि इसे जापान से लाहौर लाया गया था और फिर कराची की एक दुकान से लश्कर से जुड़े आतंकवादियों ने इसे खरीदा था.’’
उन्होंने कहा कि कराची में उस कमरे की पहचान भी कर ली गई जहां से मुंबई हमलों की कार्रवाई चलाई गई थी. साथ ही इंटरनेट पर हुई बातचीत का भी पता लगाया गया. इस हमले के संचालक और उसकी सहायता करने वाले लोगों को भी गिरफ्तार किया गया. इस हमले के लिए धन मुहैया कराने वाले एक विदेशी दम्पत्ति को भी गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया गया.
खोसा ने कहा कि मुंबई हमलों का मामला बिल्कुल अलग है. दूसरे मुल्क में इस बारे में मुकदमे की कार्रवाई ने इसे और जटिल बना दिया है ऐसे में इसमें पुख्ता सबूतों की जरुरत है. मौजूदा हालात में दोनों देशों के कानूनविदों को एक-दूसरे पर अंगुली उठाने और नाराजगी जताने के बजाय साथ मिल बैठकर बड़ी संजीदगी के साथ आगे की कार्रवाई करनी होगी.
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या पाकिस्तान तौर कड़वी सच्चाईयों का सामना करने और आतंकवाद के दानव से निबटने का साहस जुटा सकता है.
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