गरीबी से उबरने के लिए क्षेत्रीय प्रयासों के समर्थन का संकल्प

Last Updated 29 Jul 2015 09:08:22 PM IST

भारत ने सार्क क्षेत्र में गरीबी की चुनौती का सामना करने के लिए अपना अटूट समर्थन जारी रखने का संकल्प लिया.


केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत (फाइल)


भारत ने साथ ही जोर दिया कि दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों को सामूहिक रूप से विकास एवं प्रगति करनी चाहिए.
   
गरीबी उन्मूलन पर थिंपू में आयोजित सार्क मंत्रियों की चौथी बैठक में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने कहा कि भारत इस ‘अभिशाप’ को दूर करने के लिए किसी भी क्षेत्रीय प्रयास में हरसंभव मदद देने के लिए तैयार है.
   
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि सदस्य देश न केवल क्षेत्र में व्याप्त गरीबी से उबरेंगे बल्कि आने वाले वर्षों में गरीबी से जुड़ी सभी समस्याओं से निपटने की क्षमता का विकास भी करेंगे.’’
   
भगत ने चुनौती से निपटने को लेकर देश का रूख साफ करते हुए कहा, ‘‘भारत जितनी जल्दी संभव हो इस अभिशाप को हमारे बीच से दूर करने के लिए सभी क्षेत्रीय प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा.’’
   
उन्होंने कहा कि गरीबी से निपटने के लिए सम्मिलित प्रयास जरूरी हैं और भारत हमेशा से मानता रहा है कि क्षेत्र को सामूहिक रूप से विकास एवं प्रगति करनी चाहिए.
   
भगत ने साथ ही समस्या से निपटने की दिशा में भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों एवं नीतियों के बारे में विस्तार से बताया.
   
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबी उन्मूलन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और उनका मानना है कि विकास पर पहला हक गरीबों का है.
   
भगत ने कहा कि नीति आयोग को विकास की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण दिशा एवं रणनीतिक सहयोग उपलब्ध कराकर लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का काम सौंपा गया है.
   
उन्होंने कहा, ‘‘गरीबी उन्मूलन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण मापक बना हुआ है जिससे अकेले हम एक राष्ट्र के तौर पर अपनी सफलता को माप सकते हैं. हर भारतीय को गौरव एवं आत्म सम्मान के साथ जीने का एक मौका दिया जाना चाहिए.’’
   
केंद्रीय राज्य मंत्री ने साथ ही केंद्र सरकार के ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे को रेखांकित करते हुए ‘कौशल भारत अभियान’, ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ समेत मोदी सरकार के विभिन्न प्रयासों की भी जानकारी दी.
   
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक आर्थिक एवं भूराजनीतिक संगठन है.
   
इसके सदस्य देशों में भारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान शामिल हैं.



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