जम्मू कश्मीर पर एमनेस्टी की रिपोर्ट पर टिप्पणी से संयुक्त राष्ट्र महासचिव का इनकार

Last Updated 03 Jul 2015 09:48:22 PM IST

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एमनेस्टी की उस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जिसमें जम्मू कश्मीर में आफ्स्पा को रद्द करने की मांग की गयी है.


संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून (फाइल)

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की उस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जिसमें जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) को रद्द करने की और सुरक्षा बलों द्वारा कथित मानवाधिकार उंल्लधन के मामले में जांच की मांग की गयी है.
   
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ‘डिनाइड: फेल्योर्स इन एकाउंटेबिलिटी फॉर ह्यूमन राइट्स वायलेशन्स बाय सिक्योरिटी फोर्स पर्सनल इन जम्मू एंड कश्मीर’ में जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा किये गये कथित मानवाधिकार उल्लंघन के अनेक मामलों में न्याय में आने वाली बाधाओं का जिक्र किया गया है.
   
इसमें आफ्स्पा पर खासतौर पर ध्यान दिया गया है जो कहती है कि ‘‘यह सुरक्षा बलों के सदस्यों को कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में उन्हें अभियोजन से एक तरह से छूट देता है.’’
   
जब बान के प्रवक्ता फरहान हक से पूछा गया कि क्या संयुक्त राष्ट्र महासचिव को रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी करनी है तो उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मुझे नहीं करनी.’’
   
एमनेस्टी इंटरनेशनल की 72 पन्नों की रिपोर्ट में राज्य में 1990 से 2013 के बीच कथित मानवाधिकार उल्लंघन के सौ से अधिक मामलों से जुड़े सरकारी और कानूनी दस्तावेजों का विश्लेषण किया गया है.



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