कोइराला ने मृतकों की संख्या 10,000 बताई, बोले बचाव अभियान प्रभावी नहीं

Last Updated 28 Apr 2015 09:49:34 PM IST

नेपाल में विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या 10,000 तक पहुंच सकती है और प्रभावित इलाकों तक पहुंचने में बचावकर्मियों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.


नेपाल भूकंप (फाइल)

यहां 7.9 तीव्रता का भूकंप आने के तीन दिन बाद स्थिति और विकट हो गई है. भूंकप प्रभावित नेपाल में भोजन, पानी, बिजली और दवाओं की भारी कमी के कारण संकट गहराता जा रहा है और दोबारा भूकंप आने की आशंका के कारण हजारों लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं.
   
भूकंप आने के समय इंडोनेशिया में मौजूद रहे कोइराला ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जरूरतमंदों तक तंबू, पानी और भोजन की आपूर्ति कर रही है.
   
उन्होंने स्वीकार किया कि प्रशासन के पास दूरदराज के गांवों से मदद की बहुत अधिक अपील आ रही है लेकिन प्रशासन कई इलाकों में उपकरणों और बचाव विशेषज्ञों की कमी के कारण राहत अभियान शुरू करने में असमर्थ रहा है.
   
कोइराला ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि मरने वालों की संख्या 10,000 हो सकती है क्योंकि दूरदराज के गावों से सूचना मिलनी अभी बाकी है.
     
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि नेपाल में भूकंप से 80 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. 14 लाख से अधिक लोगों को भोजन की जरूरत है तथा पानी और आश्रय स्थलों की भी कमी है.
     
राजधानी काठमांडो और दूरदराज के पर्वतीय इलाकों में मलबों के नीचे सैकड़ों लोग अब भी फंसे हुए हैं.
     
प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने स्वीकार किया है कि बचाव, राहत और खोजबीन अभियान प्रभावी नहीं रहे हैं. उन्होंने राजनीतिक दलों से इस राष्ट्रीय आपदा के दौरान मिल कर काम करने का आह्वान किया है.
    
नेपाल के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शनिवार को आए जबर्दस्त भूकंप के बाद अभी तक कम से कम 5,057 शवों को बरामद कर लिया गया है. भूकंप के कारण 10,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
    
भारतीय राजदूत रंजीत राय ने मंगलवार को कोइराला से मुलाकात की और ‘आपरेशन मैत्री’ के तहत भारत की ओर से चलाए जा रहे राहत एवं बचाव अभियान को लेकर जानकारी दी.
    
कोइराला ने भारत की ओर से त्वरित राहत और बचाव सहायता प्रदान किए जाने को लेकर राजदूत से आभार व्यक्त किया.
    
भारतीय दूतावास के सूत्रों ने से कहा, ‘‘हमारी ओर से अब तक दी गई सहायता में अस्थायी अस्पताल, भोजन, पानी, दवाएं, तलाशी और बचाव दल, बिजली की आपूर्ति बहाल करने वाले दल, इंजीनियरों की दो टीमें शामिल हैं. राशन और जरूरी दवाएं जल्द पहुंचने की उम्मीद है.’’
    
भारत के एनडीआरएफ के दल भी काठमांडो घाटी में ऐतिहासिक स्थलों पर काम में लगे हुए हैं.
    
भारतीय राजदूत रंजीत राय ने नेपाल के सेना प्रमुख जनरल गौरव राणा से मुलाकात की और दूरस्थ पर्वतीय इलाकों से भारतीयों को बाहर निकालने में मदद की मांग की.
    
इस बीच, नेपाल सरकार ने नौ जिलों को भूकंप से अत्यधिक प्रभावित इलाके घोषित किया है.
    
हताहत हुए लोगों की संख्या के आधार पर सिंधुपलचौक, काठमांडो, नुवाकोट, धदिंग, भक्तपुर, गोरखा, कावरे, ललितपुर और रासुवा सर्वाधिक प्रभावित जिले घोषित किए गए हैं.
   
सरकार ने कहा है कि कुल मिला कर 60 जिले भूकंप से प्रभावित हुए हैं.
   
संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष नेमबांग की अध्यक्षता में बुलाई गई सभी पार्टियों की बैठक में कोइराला ने कहा कि भूकंप के बाद के हालात से निपटना चुनौतीपूर्ण है.
   
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार राहत वितरण और प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर गंभीर और संवदेनशील है.
   
सरकार प्रभावित इलाकों में टेंट, पानी, दवायें, स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवकों को भेजने की तैयारी कर रही है. प्रधानमंत्री ने लोगों से रक्तदान की भी अपील की.
   
भूकंप में घरों और भवनों के जमींदोज हो जाने और इसके बाद लगातार आने वाले तेज झटकों के कारण लोग प्लास्टिक से बने तंबुओं में रहने को मजबूर हैं. ये तंबू उन्हें शहर में हुई बारिश एवं ठंड से बमुश्किल बचा पा रहे हैं.



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