अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शुरू किया ईरान का दौरा

Last Updated 19 Apr 2015 03:39:32 PM IST

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहली ईरान यात्रा के तहत अशरफ गनी तेहरान पहुंच गए.


अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी तेहरान में

अफगानिस्तान में आत्मघाती बम हमले करने के इस्लामिक स्टेट समूह के दावे के मद्देनजर दोनों देशों के बीच की वार्ताओं में सुरक्षा से जुड़े मुद्दे प्रमुखता से छाए रह सकते हैं.
     
पूर्वी शहर जलालाबाद में किए गए इस हमले में शनिवार को 33 लोग मारे गए थे और 100 से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे. अफगानिस्तान में यह ऐसी पहली घटना है, जिसकी जिम्मेदारी आईएस ने ली है.
     
गनी की दो दिवसीय यात्रा पर आने की घोषणा ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए ने की थी.
     
सरकारी टेलीविजन ने उन्हें और उनके ईरानी समकक्ष हसन रूहानी को तेहरान के सादाबाद पैलेस में दिखाया. यहां अक्सर शीर्ष स्तरीय पदाधिकारियों का स्वागत किया जाता है.
     
इस यात्रा में गनी के साथ उनके विदेश मंत्री और तेल एवं खदान मंत्री भी आए हैं.
     
अफगान राष्ट्रपति ने आईएस द्वारा अफगानिस्तान में पैठ बनाने की संभावना को बार-बार उठाया है. बहरहाल सीरिया और इराक के बड़े हिस्सों पर काबिज इस समूह ने कभी अफगानिस्तान में मौजूदगी की बात औपचारिक तौर पर स्वीकार नहीं की है.
    
शनिवार का हमला जलालाबाद के एक सरकारी बैंक के बाहर हुआ था. नवंबर के बाद से यह अफगानिस्तान में हुआ सबसे भयावह हमला था. इस हमले में मारे जाने वाले अधिकतर लोग सरकारी अधिकारी थे, जो बैंक से अपने वेतन निकाल रहे थे.
    
\"\"खुद को आईएस का प्रवक्ता बताने वाले एक व्यक्ति ने एएफपी को फोन पर कहा कि इस बमबारी के पीछे समूह का हाथ है. आईएस की ओर से कथित तौर पर इंटरनेट पर डाली गई पोस्ट में भी यही दावा किया गया, जिसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.
    
ईरान और अफगानिस्तान के बीच करीबी संबंध हैं. वर्ष 2001 में तेहरान ने एक अत्यंत अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाले हमले में वाशिंगटन का सहयोग किया था. इस हमले के जरिए काबुल से तालिबान के शासन का तख्तापलट किया गया था.
    
हाल के महीनों में तालिबान का आईएस से मोहभंग होते देखा गया है. इसमें से कई लोग अपने सर्वोच्च नेता मुल्ला उमर के खिलाफ नाराजी जता रहे हैं. इस नेता को लगभग 14 साल में देखा भी नहीं गया है.
    
ईरान आईएस के खिलाफ बगदाद सरकार की लड़ाई के केंद्र में रहा है, जो कि शिया आतंकियों के बीच तालमेल कर रहा है और अपने शक्तिशाली रेवोल्यूशनरी गार्डस कॉर्प्स से सैन्य सलाहाकार उपलब्ध करवा रहा है.





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